For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिंदगी को सौ बार जिया होता --डॉo विजय शंकर

इक बार जिंदगी में प्यार किया होता
खोने का मजा भी आ गया होता ,
जिंदगी भर जोड़ते रहे योगी बन के
कुछ बाँट दिया होता कुछ भोग लिया होता ,
रिश्तों को , दोस्तों को , तराजू पे तौलते रहे
कभी तो तराजू को आराम दिया होता ,
दुनिया कुछ नहीं , इक खूबसूरत नज़ारा है
जी भर के इसको , देख लिया होता ,
कुछ कह लिया होता ,कुछ सुन लिया होता
कुछ खो दिया होता ,कुछ पा लिया होता ,
कुछ भी तो साथ यहां से जाता नहीं
जो कुछ था यहीं , भुना लिया होता ,
जिंदगी को नसीहतें क्या देते रहे
जिंदगी को जी भर के जी लिया होता ,
जब भी जाते खुशी खुशी जाते
न ये मलाल होता , न वो मलाल होता ,
इक बार जिंदगी में प्यार किया होता
एक ही जिंदगी को सौ बार जिया होता ||

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 760

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 17, 2015 at 6:17pm
आदरणीय मोहन सेठी जी , आपको रचना पसंद आई , आपका आभार।आपकी बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 17, 2015 at 6:16pm
आदरणीय कृष्ण मिश्रा जी , रचना पसंद आई , आभार। भौतिकतावाद ? पता नहीं। शायद , यथार्थवाद , हाँ. आपकी बधाई हेतु धन्यवाद , सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 17, 2015 at 4:13pm

इक बार जिंदगी में प्यार किया होता
एक ही जिंदगी को सौ बार जिया होता ||---------------- बहुत बढ़िया . विजय सर . सादर .

Comment by Shyam Narain Verma on March 17, 2015 at 3:35pm
सुंदर भावों की सुंदर गजल   … हार्दिक बधाई आदरणीय
Comment by Nidhi Agrawal on March 17, 2015 at 1:59pm

बहुत सुन्दर भाव हैं .. शब्द चयन भी उम्दा .. अच्छी रचना हुई.. बधाई 

Comment by Shyam Mathpal on March 17, 2015 at 11:51am

Aadarniya Dr.Vijai Shanker Ji,

Waah Waah .. Kya baat hai. Apne liye jiye to kya jiye ......Anand aa gaya. Dil se badhai.

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 17, 2015 at 4:05am

मन के भाव ख़ूब पेश किये हैं .....सुंदर रचना बधाई ..."देर आए दुरुस्त आए" सादर 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 16, 2015 at 9:41pm

दुनिया कुछ नहीं , इक खूबसूरत नज़ारा है

जी भर के इसको , देख लिया होता ,

वाह! सुन्दर रचना पर बधाई आदरणीय! अचानक से ये भौतिकवादी रसिक कहाँ से जागा!!सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
19 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
23 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
30 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
2 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
21 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service