For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसको बतायें -एक कोशिश - डॉo विजय शंकर

सम्हाल सके न इश्क किसको बतायें
हम काबिल ही न थे किसको बतायें |

जगहंसाई अपनी क्योंकर करायें
तुम बेवफा निकले किसको बतायें |

तुम खेल गये खेल था तुम्हारे लिये
हम समझे क्या उसे किसको बतायें |

लगा दुनियाँ जीत ली संग तुम्हारे
पर हम हर पल हारे किसको बतायेँ |

इक काँटा चुभे उसकी फितरत है
फूल भी चुभता है किसको बतायें

वजह भी बेवफाई की होती है
वजह वो खुद हम थे किसको बतायें |

Views: 602

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 16, 2015 at 11:43am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, आप हौसला बढ़ाते रहें , मैं कोशिश करता रहूँ , बहुत बहुत धन्यवाद, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 16, 2015 at 11:19am

आदरणीय विजय भाई , हमेशा की तरह बहुत खूब सूरत बातें कहीं है , आदरणीय ! रचना गज़ल के बहुत करीब पहुची है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 15, 2015 at 10:39pm
नैये अंदाज में देखा है, आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी ,हो सकता है कभी पसंद भी आये ,कोशिश है, धन्यवाद, सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 15, 2015 at 10:12pm

विजय सर !

आपको एक नए रंग में देख रहा हूँ  . क्या बात है .

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 14, 2015 at 7:44pm
आदरणीय जीतेन्द्र जी, यह अंदाज भी आपको अच्छा लगा , आपका आभार, आपके उत्साहवर्धन एवं बधाई हेतु ह्रदय से धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 14, 2015 at 7:39pm
आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी, ग़ज़ल आपको अच्छी लगी , आपका आभार, आपके उत्साहवर्धन हेतु ह्रदय से धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 14, 2015 at 7:37pm
आदरणीय कृष्ण मिश्रा जी, ग़ज़ल आपको अच्छी लगी , आपका आभार, बधाई हेतु ह्रदय से धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 14, 2015 at 7:35pm
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, ग़ज़ल आपको अच्छी लगी , आपके उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार, बधाई हेतु ह्रदय से धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 14, 2015 at 7:24pm
आदरणीय श्याम मठपाल जी, रचना आपको अच्छी लगी , आपके उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार, बधाई हेतु भी धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 14, 2015 at 7:21pm
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी, रचना आपको अच्छी लगी , आपका आभार, बधाई हेतु धन्यवाद, सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Abhilash Pandey is now a member of Open Books Online
42 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
14 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
19 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service