For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिम्मत बढ़ाईये , जीते जाइए --डॉ o विजय शंकर

सच बोलने के लिए
गर मासूमियत नहीं,
हिम्मत औ जिगर की
जरूरत पड़ने लग जाए ,
तो समझ लीजिये कि
मासूमियत तो गई ,
बिलकुल चली गई ,
आपकी जिंदगी से ,
आपके आस-पास से ,
आप तो बस जी लीजिये
जिगर से , हिम्मत से।
जिंदगी एक प्यार का नगमा ,
एक मधुर गीत है ,
भूल जाइए , आपके लिए तो ,
बस एक संघर्ष है,
हिम्मत बढ़ाते जाइए ,
और जीते जाइए ,
जीते जाइए |
जब सच के लिए
हिम्मत की जरूरत
पड़ने लग जाए तो समझ जाइए ,
वो दिन दूर नहीं
जब सांस लेने के लिए भी
हिम्मत की जरूरत पड़ेगी ॥
रोटी कपड़े के लिए भी
जद्दोजहद करनी पड़ेगी ॥
बस , जीवन एक संघर्ष है,
संघर्ष रत रहिये , युद्ध रत रहिये ,
यद्ध करते रहिये , जीते रहिये ,
मासूमियत को भूल जाइए ,
उसके किस्से सुनिए , और
बस किताबों में पढ़ते जाइए ,
आपकी जिंदगी कुछ हो न हो ,
एक संघर्ष है , एक युद्ध अवश्य है ,
स्वीकार कर लीजिये, संघर्ष कीजिये ,
अहर्निश , निरंतर , अनवरत।
संघर्ष में रहिये ,
बस यूँ ही जीते रहिये ,
जीते रहिये ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 648

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 12, 2015 at 9:02pm
आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी, रचना एक यथार्थ के रूप आपको पसंद आई , आपका आभार , यही उसकी प्रशस्ति है , ह्रदय से आपका बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 12, 2015 at 8:59pm
आदरणीय श्याम नारायण जी, रचना की सार्थकता को स्वीकार करने के लिए , आपका आभार , आपकी प्रशस्ति और बधाई हेतु ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 12, 2015 at 8:56pm
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, रचना आप तक पहुंची , पूरी की पूरी पहुंची , आपने उसे रुचिकर पाया , आपका आभार , आपकी सद्भावनाओं और बधाई हेतु ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 12, 2015 at 8:54pm
आदरणीय लक्षमण धामी जी, आप तक रचना पहुंची , पूरी की पूरी पहुंची , आपने उसे मान दिया , आपका आभार , आपकी सद्भावनाओं और बधाई हेतु ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 12, 2015 at 8:25pm

आपकी जिंदगी कुछ हो न हो ,
एक संघर्ष है , एक युद्ध अवश्य है ,
स्वीकार कर लीजिये, संघर्ष कीजिये ,
अहर्निश , निरंतर , अनवरत।
संघर्ष में रहिये ,
बस यूँ ही जीते रहिये ,
जीते रहिये ॥

यथार्थ!

Comment by Shyam Narain Verma on March 12, 2015 at 4:33pm
सुन्दर सार्थक रचना  ने लिये आपको बधाई ….
Comment by Hari Prakash Dubey on March 12, 2015 at 2:25pm

आदरणीय डॉक्टर विजय शंकर सर ,इस सुन्दर प्रेरणास्पद रचना का रसास्वादन कराने के लिए आपका आभार , हार्दिक बधाई ! सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2015 at 11:26am

सच बोलने के लिए
गर मासूमियत नहीं,
हिम्मत औ जिगर की
जरूरत पड़ने लग जाए ,
तो समझ लीजिये कि
मासूमियत तो गई ,
बिलकुल चली गई ,
आपकी जिंदगी से ,
आपके आस-पास से ,
आप तो बस जी लीजिये
जिगर से , हिम्मत से।

आ० भाई विजय जी आज के समाज का सच भी यही है आज जीने के लिए मासूमियत की नहीं जिगर की जरूरत पड़ने लग गई है  .....भावपूर्ण और सुन्दर रचना  हुई है हार्दिक बधाई l

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 12, 2015 at 9:51am
आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी, आपको रचना पसंद आई , आपका आभार , आपकी सद्भावनाओं एवं प्रतिक्रिया का स्वागत है , धन्यवाद , सादर।
Comment by khursheed khairadi on March 12, 2015 at 9:16am

जिंदगी एक प्यार का नगमा ,
एक मधुर गीत है ,
भूल जाइए , आपके लिए तो ,
बस एक संघर्ष है,
हिम्मत बढ़ाते जाइए ,
और जीते जाइए ,
जीते जाइए |

आदरणीय विजयशंकर जी ,आशावादी और प्रेरक रचना हुई है |सादर अभिनन्दन |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service