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सरकार - इनकी उनकी--- डॉo विजय शंकर

लोगों की , लोगों से , लोगों के लिए
सरकार होती है ,
हमने इनकी , उनकी ,
हर इनकी , हर उनकी ,
सरकार बना दी , लोगों से छीन कर ।
हालात ये हैं कि अब हर एक
ठगा सा लगता है,
दूसरे की हो सरकार तो
डरा डरा सा लगता है ॥
खुद अपनी हो सरकार तो
ज्यादा ही अड़ा अड़ा सा लगता है ॥
अपनी स्वतंत्रता , अपना राज , अपनी सरकार ,
सब कुछ अपना अपना है , दूजे सब बेकार ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 652

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Comment by Shyam Mathpal on January 29, 2015 at 8:14pm

आदरणीय डॉ  विजय सा. 

 सरकार बना दी , लोगों से छीन कर .bahut hi sundar rachna ke liya tahe dil se badhai.

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 29, 2015 at 8:10pm
आदरणीय लक्षमण धामी जी, रचना को स्वीकार कर आपने उसका मान बढ़ाया है, आभार एवं धन्यवाद, सादर.
Comment by gumnaam pithoragarhi on January 29, 2015 at 5:55pm

वाह सर वाकई लोकतंत्र की नई परिभाषा ........................

Comment by Hari Prakash Dubey on January 29, 2015 at 5:51pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर , सुन्दर रचना..

अपनी स्वतंत्रता , अपना राज , अपनी सरकार

सब कुछ अपना अपना है , दूजे सब बेकार.... हार्दिक बधाई , सादर !

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on January 29, 2015 at 5:46pm

....खुद अपनी हो सरकार तो
.....ज्यादा ही अड़ा अड़ा सा लगता है ॥

सार्थक सुन्दर प्रस्तुति....... आदरणीय डा. विजय शंकर जी.

Comment by vijay on January 29, 2015 at 2:32pm
उम्दा सर
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 29, 2015 at 12:36pm

विजय  सर  !

मित  शब्दों में पते की बात i सुन्दर i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 29, 2015 at 12:06pm

सच का कम ही पंक्तियों में बखान करती, बहुत सार्थक प्रस्तुति. बधाई स्वीकारें आदरणीय डा. विजय जी

Comment by somesh kumar on January 29, 2015 at 11:41am

vaah yhi to sty hai ,apni manyta ka shashn ho aur apni baat chle,sunder rchna aadrniy

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 29, 2015 at 11:26am

सत्य को बखानती बहुत ही सुन्दर रचना हुई है ..आ० भाई विजय शंकर जी हार्दिक बधाई l

कृपया ध्यान दे...

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