For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

३ क्षणिकाएँ :

दूर होती गईं
करीब आती आहटें
शायद
घुटनें टेक दिए थे
साँसों ने
इंतज़ार के

.............................

दूर चला जाऊँगा
स्वयं की तलाश में
आज रात
जाने किसके बिम्ब में
हो गया है
समाहित
मेरा प्रतिबिम्ब

..............................

हां और न के
लाखों चेहरे
हर चेहरे पर
गहराती झुर्रियाँ
हर झुर्री
विरोधाभास को जीतने की
दफ़्न तहरीर

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 717

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 6, 2019 at 4:53pm

आदरणीय vijay nikore जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by vijay nikore on December 5, 2019 at 10:18pm

बहुत ही सुन्दर क्षणिकाएँ कही हैं। हार्दिक बधाई, मित्र सुशील जी।

Comment by Sushil Sarna on December 5, 2019 at 7:32pm

आदरणीय  Mahendra Kumar जी सृजन पर आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on December 5, 2019 at 7:32pm

आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी सृजन पर आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया का दिल से आभार।

Comment by Mahendra Kumar on December 4, 2019 at 6:32pm

तीनों ही क्षणिकाएँ उम्दा हुई हैं आदरणीय सुशील सरना जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

Comment by नाथ सोनांचली on November 30, 2019 at 8:44pm

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। बेहतरीन क्षणिकाओं के लिए बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by Sushil Sarna on November 28, 2019 at 1:08pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... सृजन पर आपकी ऊर्जावान एवं सुझावात्मक प्रतिक्रिया का तहे दिल से शुक्रिया। आपकी तीक्ष्ण दृष्टि का मैं कायल हूँ। मैं इस संशोधित कर पुनः प्रेषित करता हूँ। हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on November 28, 2019 at 1:02pm

आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी सृजन पर आपकी ऊर्जावान प्रतिक्रिया का दिल से आभार।

Comment by Samar kabeer on November 28, 2019 at 12:13pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,उम्द: क्षणिकाएँ लिखीं आपने,बधाई स्वीकार करें ।

'दूर होती गई'

इस पंक्ति में 'गई' को "गईं" कर लें ।

'लाखो चेहरे'--'लाखों'

अंतिम पंक्ति में 'दस्तावेज़' शब्द स्त्रीलिंग है,देखियेगा ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 28, 2019 at 6:24am

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन । सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
1 hour ago
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
20 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service