For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मापनी -  2122 2122 2122 212

 

जिन्दगी है कीमती यूँ ही लुटाने से रहे  

हर किसी के गीत हम तो गुनगुनाने से रहे

 

पैर अंगद से जमे हैं सत्य की दहलीज पर

हो रही मुश्किल बहुत लेकिन हटाने से रहे

 

अर्जियाँ सब गुम गईं या फाइलों में कैद हैं ?

पूछता वह रोज है, साहब बताने से रहे

 

रोज नतमस्तक हुए हैं प्रेम के आगे, मगर

नफरतों के सामने तो सर झुकाने से रहे

 

शेर सुनना चाहते हो तो बजाओ तालियाँ

आपकी चाहत न हो तो हम सुनाने से रहे

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 807

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on September 1, 2018 at 9:03pm

आदरणीय Mohammed Arif जी आपकी हौसलाअफजाई का दिल से शुक्रिया 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 1, 2018 at 6:52pm

आ. भाई बसंत जी, खूबसूरत गजल हुयी है । हार्दिक बधाई स्वीकारें ।

Comment by Samar kabeer on September 1, 2018 at 12:23pm

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है, शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

हर किसी के गीत तो हम गुनगुनाने से रहे'

इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें "गीत तो",इस मिसरे को यूँ कर लें तो ऐब निकल जायेगा:-

'हर किसी के गीत हम तो गुनगुनाने से रहे'

Comment by Samar kabeer on September 1, 2018 at 12:14pm

जनाब नरेन्द्र सिंह चौहान साहिब आदाब, आपसे पहले भी कई बार निवेदन कर चुका हूँ कि इस तरह की टिप्पणी ओबीओ मंच की परिपाटी नहीं है,ये सोशल मीडिया पर ही चलती होगी,लेकिन ऐसा लगता है आप समझना ही नहीं चाहते,और जान बूझ कर ऐसा कर रहे हैं,भाई ये सीखने सिखाने का पटल है, यहाँ पहले रचनाकार को पूरे सम्मान से संबोधित किया जाता है,फिर उसकी रचना की तारीफ़ या आलोचना शिष्टता के साथ की जाती है,उदाहरण स्वरूप इसी ग़ज़ल पर आई हुई टिप्पणियां देखें ,उम्मीद है मेरी बात को संज्ञान में लेंगे ।

Comment by narendrasinh chauhan on September 1, 2018 at 11:26am
बहोत खुब
Comment by Shyam Narain Verma on September 1, 2018 at 10:21am

आदरणीय बसंत कुमार जी प्रणाम , बहुत सुन्दर रचना के लिये आपको बधाई सादर.

Comment by Mohammed Arif on August 31, 2018 at 10:51pm

आदरणीय बसंत कुमार जी आदाब,

                         बहुत ही उम्दा ग़ज़ल । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service