For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु रचना : यथार्थ ...

लघु रचना : यथार्थ ...

एक मैं
चल दिया
एक मैं को
छोड़कर


एक यथार्थ
आभास हो गया
एक आभास
यथार्थ हो गया


जिसका वो अंश था
उस अंश में
उस यथार्थ का
वास हो गया

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 789

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on August 14, 2018 at 3:17pm


आदरणीय नरेन्द्र सिंह चौहान जी आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on August 14, 2018 at 3:16pm

आदरणीय विजय निकोर साहिब, सादर प्रणाम ... सृजन आपकी आशीष का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on August 14, 2018 at 2:40pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब, आदाब। ... सृजन के भावों पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on August 14, 2018 at 2:40pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर जी सृजन के भावों पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on August 14, 2018 at 2:40pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब। ... सृजन आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार। कुछ दिनों से कंप्यूटर खराब था सो आभार व्यक्त न कर सका। अब ठीक हुआ है। विलम्ब के लिए क्षमा चाहूंगा।

Comment by Sushil Sarna on August 14, 2018 at 2:40pm

आदरणीय उस्मानी साहिब, आदाब ... सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया का दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on August 14, 2018 at 2:39pm

आदरणीया बबिता गुप्ता जी सृजन पर आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by narendrasinh chauhan on August 11, 2018 at 10:29am
बहोत सुन्दर
Comment by Mohammed Arif on August 8, 2018 at 12:51pm

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,

                       'मैं ' को रेखांकित करती अच्छी पेशकश । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 7, 2018 at 8:25pm
आदरणीय सुशील सरना जी , इस गंभीर एवं दार्शनिक प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई , जिसने “ मैं “ को छोड़ दिया उसने बहुत कुछ पा लिया , शायद सब कुछ।
सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
12 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
21 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
21 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service