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मेघदूत गीत 

नयनों के गमले सूख रहे 
ऐ! मेघदूत कब आओगे 

तकते तकते अम्बर घट को 
चातक का मन टूट गया 
ज्वाला जैसी तपती काया 
बैरी सावन रूठ गया 
अब किस विध इतनी पीर सहे 
कब मेघा जल बरसाओगे 

व्याकुल कजरा व्याकुल गजरा 
व्याकुल कंगन ये बिंदिया 
काँटों के बिस्तर पर तन है 
चैन नहीं पावै निंदिया 
साँसों साँसों में पीर दहे
कब सुख घट तुम छ्लकाओगे 

साजन को तू जाकर देना 
ये कुछ भीगे मोती हैं 
मन की तुलसी तन की बेला 
चुपके चुपके रोती हैं 
वो समझेंगे बिन शब्द कहे 
कब ये पाती ले जाओगे 
ऐ मेघदूत कब आओगे 


मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 5, 2018 at 8:36pm

आद० बसंत कुमार जी आपको गीत पसंद आया दिल से बहुत बहुत आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 5, 2018 at 8:36pm

आदरणीय समर भाई जी सबसे पहले तो प्रतिउत्तर देने में देरी   के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ .आज कल वक़्त नहीं मिल रहा .आपको ये गीत पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ 

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 31, 2018 at 10:08pm

आ0 राजेश कुमारी  जी बहुत सुंदर रचना लिखी है आपने   । हार्दिक बधाई ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 29, 2018 at 2:26pm

वाह आदरणीया बहुत ही सुन्दर और सरस विरह गीत हुआ है...

Comment by Neelam Upadhyaya on July 27, 2018 at 12:30pm

आदरणीया अर्पणा  शर्मा जी, अच्छी लघुकथा की प्रस्तुति के लिए  बधाई स्वीकार करें । 

 
 

Comment by Shyam Narain Verma on July 26, 2018 at 5:32pm
सुंदर गीत के लिए कोटिशः बधाई ... सादर
Comment by TEJ VEER SINGH on July 26, 2018 at 4:07pm

हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी।बेहतरीन गीत।

Comment by Mohammed Arif on July 26, 2018 at 1:50pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब,

                                    बहुत ही बेहतरीन मेघदूत गीत की रचना । बाक़ी आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब इशारा कर ही चुके हैन । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 26, 2018 at 1:24pm

वाह अनुपम गीत हुआ है आदरणीया , बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by Samar kabeer on July 26, 2018 at 12:14pm

बहना राजेश कुमारी जी आदाब,बहुत उम्दा 'मेघदूत गीत' रचा आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

बारिश तो पूरे देश में अच्छी हो रही है,फिर इस गीत में ये बेचैनी क्यों?

साजन को तू जाकर देना

इस पंक्ति में 'तू' को "तुम" करना उचित होगा ।

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