For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122-1122-1122-22

टूटकर ख्वाब ज़माने में बिखर जाते हैं ।
आज़माने में बहुत लोग मुकर जाते है ।।

वो जलाता ही रहा हमको बड़ी शिद्दत से ।
हम तो सोने की तरह और निखर जाते हैं ।।

हुस्न वालों के गुनाहों पे न पर्दा डालो ।
क्यूँ भले लोग यहां इश्क से डर जाते हैं ।।

मुन्तजिर दिल है यहां एक शिकायत लेकर ।
आप चुप चाप गली से जो गुज़र जाते हैं ।।

कुछ उड़ानों की तमन्ना को लिए था जिन्दा ।
क्या हुआ आपको जो पर को कतर जाते हैं ।।

मत बयां कीजिये अपने भी सितम के किस्से ।
दर्द बनकर वो यहां दिल में ठहर जाते हैं ।।

इस मुहब्बत पे है इल्जाम का साया मुमकिन ।
वो सरे आम निगाहों से उतर जाते हैं ।।

उसके आने की खबर जब भी हुई महफ़िल को ।
आहटे हुस्न से कुछ लोग सवंर जाते हैं ।।

क्यूँ छुपाते हैं मियाँ आप मुहब्बत अपनी ।
सबको मालूम है अब आप किधर जाते हैं ।।

---नवीन मणि त्रिपाठी

मौलिक अप्रकाशित

Views: 683

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 16, 2018 at 11:38pm

आ0 सुशील शरण साहब तहे दिलसे शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on April 16, 2018 at 8:35pm

उसके आने की खबर जब भी हुई महफ़िल को ।
आहटे हुस्न से कुछ लोग सवंर जाते हैं ।।
बहुत खूब ... आदरणीय इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारक कबूल फरमाएं।

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 16, 2018 at 8:30pm

आ0 श्याम नारायण वर्मा साहब बहुत बहुत आभार

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 16, 2018 at 8:29pm

आ0 कल्पना भट्ट रौनक जी हार्दिक आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 16, 2018 at 8:28pm

आ0 तेज वीर सिंह साहब तहे दिल शुक्रिया ।

Comment by TEJ VEER SINGH on April 16, 2018 at 7:01pm

हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि जी। बेहतरीन गज़ल।

क्यूँ छुपाते हैं मियाँ आप मुहब्बत अपनी ।
सबको मालूम है अब आप किधर जाते हैं ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 16, 2018 at 3:41pm

कुछ उड़ानों की तमन्ना को लिए था जिन्दा ।
क्या हुआ आपको जो पर को कतर जाते हैं ।।

मत बयां कीजिये अपने भी सितम के किस्से ।
दर्द बनकर वो यहां दिल में ठहर जाते हैं ।।

इस मुहब्बत पे है इल्जाम का साया मुमकिन ।
वो सरे आम निगाहों से उतर जाते हैं ।।

बहुत खूब| हार्दिक बधाई आदरणीय|

Comment by Shyam Narain Verma on April 16, 2018 at 1:38pm
इस लाजवाब, उम्दा ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
8 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
12 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
13 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service