For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुझे याद हो के न याद हो

11212 11212 11212 11212
तेरी रहमतों पे सवाल था तुझे याद हो के न याद हो ।
मुझे हो गया था मुगालता तुझे याद के न याद हो ।।1

तेरे इश्क़ में जो करार था तुझे याद हो के न याद हो ।
जो मिला था मुझको वो फ़लसफ़ा तुझे याद हो के न याद हो ।।2


वो गुरुर था तेरे हुस्न का जो नज़र से तेरी छलक गया ।
मेरे रास्ते का वो फ़ासला तुझे याद हो के न याद हो ।।3

वहां दफ़्न है तेरी याद सुन ,वो शजर भी कब से गवाह है ।
है मेरी वफ़ा का वो मकबरा तुझे याद हो कि न याद हो ।।4

वो तमाम उम्र गुजार दी तेरी इक अदा की फ़िराक़ में ।
मेरे ख्वाब का था वो हौसला तुझे याद हो के न याद हो ।।5

तेरे छत पे जो थी नजर गयी कोई रूह छू के मचल गयी ।
था नया नया सा वो सिलसिला तुझे याद हो के न याद हो ।।6

यूँ ही बेसबब थीं वो आधियाँ कई ख्वाहिशों को मिटा गयीं ।
मेरी जिंदगी का वो हादसा तुझे याद हो के न याद हो ।।7


नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 551

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 18, 2018 at 6:44pm
आ0 लक्ष्ममन धामी साहब आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on April 18, 2018 at 6:44pm
आ0 लक्ष्ममन धामी साहब आभार ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 18, 2018 at 2:16pm

आ. भाई नवीन जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 17, 2018 at 7:33pm

आ0 रोहित डोबरियाल मल्हार साहब सादर आभार

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 17, 2018 at 7:32pm

आ0 समर कबीर सर सादर नमन के साथ आभार 

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 17, 2018 at 7:30pm

आ0 श्याम नारायण वर्मा साहब सादर आभार

Comment by Samar kabeer on April 17, 2018 at 10:54am

जनाब नवीन जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

छटे शैर के ऊला में 'तेरे छत' को "तेरी छत" कर लें ।

Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 16, 2018 at 11:10am

बहुत ही खूबसूरत .....हार्दिक बधाई

Comment by Shyam Narain Verma on April 14, 2018 at 10:54pm
बहूत ही लाजवाब,हार्दिक बधाई l सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service