For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा--कठपुतली

एक राजनेता से पूछा -" आप तीखी बयानबाज़ी या शोला बयानी क्यों करते हैं ? इससे दूसरे वर्गों की भावनाएँ आहत है । देश का माहौल ख़राब होता है । अपनी ज़बान पर थोड़ा ताला क्यों नहीं लगाते ?"
राजनेता -" ज़बान पर ताला या नियंत्रण नहीं लगा सकता । मेरे हाथों में नहीं है ।"
मैंने पलटवार करते हुए पूछा -" फिर किसके हाथों में है ?"
" पार्टी आला कमान के ।" कुतिलता से मुस्कुराते हुए चल दिए ।

मौलिक एवं अप्रकाशित। ।

Views: 776

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on March 25, 2018 at 10:32am

बहुत-बहुत दिली आभार आदरणीय अजय तिवारी जी । लेखन सार्थक हो गया ।

Comment by Ajay Tiwari on March 25, 2018 at 10:16am

आदरणीय आरिफ साहब,  प्रभावी व्यंग और एक बेहतर लघु- कथा!  हार्दिक बधाई.  

Comment by Mohammed Arif on March 24, 2018 at 3:08pm

रचना के अनुमोदन और हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत आभार आदरणीया नीता कसार जी ।

Comment by Nita Kasar on March 24, 2018 at 2:54pm

व्यंग्यपूर्ण कथा,नेताओं पर आधारित कथा के लिये बधाई आद० मोहम्मद आरिफ़ जी ।वे हाईकमान के इशारों पर नाचते है ।

Comment by Mohammed Arif on March 23, 2018 at 8:06am

लघुकथा पर अपना अमूल्य समय , सांगो-पांगत्र विवेचनत्र, व्यापक दृष्टिकोण और उत्साहवर्धन टिप्पणी का बहुत-बहुत हार्दिक आभार आदरणीय रवि प्रभाकर साहब ।

Comment by Ravi Prabhakar on March 22, 2018 at 10:14pm

वाह ! बहुत ही तीक्ष्‍ण व्‍यंग्‍य कसा है । दरअसल यहॉं व्‍यंग्‍य 'द्वि शरीरी' परिलक्षित हो रहा है । जिसकी उपरी तह में हल्‍का सा हास्‍य उत्‍पन्‍न हो रहा है जबकि दूसरा प्रभावात्‍मक रूप /  " पार्टी आला कमान के ।"/ में पहले स्‍तर को बाण जैसे भेदता हुआ अंदर तक घुस कर एक गहरा घाव दे रहा है । व्‍यंग्‍य का सटीक व पैनापन इस लघुकथा को श्रेष्‍ठ लघुकथायों की श्रेणी में खड़ा कर रहा है । मेरे द्वारा पढ़ी यह आपकी सर्वश्रेष्‍ठ लघुकथा है । नख से शिख तक प्रभावशाली प्रस्‍तुत लघुकथा का शीर्षक इसके प्रभाव को द्वविगुणित कर रहा है । या यूँ कहूं कि इस लघुकथा का शीर्षक इससे बेहतर हो ही नहीं सकता था तो कोई अतिश्‍योक्‍ति नहीं होगी । मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं निवेदित हैं। सादर

Comment by Mohammed Arif on March 22, 2018 at 4:31pm

हृदयतल से आभार आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी । लेखन सार्थक हो गया ।

Comment by नाथ सोनांचली on March 22, 2018 at 3:01pm

आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन। बढिया कटाक्ष किया है आज के परिवेश की राजनीति पर। इस उम्दा प्रस्तुति पर बधाई

Comment by Mohammed Arif on March 22, 2018 at 12:34pm

यह सब आपकी दुआओं और ओबीओ परिवार का नतीजा है । मैं किन लफ्ज़ों में आपका शुक्रिया अदा करूँ मेरे पास तो लफ्ज़ ही नहीं है । दिल की अथाह गहराइयों से बहुत-बहुत शुक्रिया आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब ।

Comment by Samar kabeer on March 22, 2018 at 11:48am

जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,कितना उम्दा तंज़ किया है आपने इस लघुकथा के माध्यम से,बहुत बहतरीन प्रस्तुति,इसके लिए दिल से बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
24 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service