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लघुकथा--कठपुतली

एक राजनेता से पूछा -" आप तीखी बयानबाज़ी या शोला बयानी क्यों करते हैं ? इससे दूसरे वर्गों की भावनाएँ आहत है । देश का माहौल ख़राब होता है । अपनी ज़बान पर थोड़ा ताला क्यों नहीं लगाते ?"
राजनेता -" ज़बान पर ताला या नियंत्रण नहीं लगा सकता । मेरे हाथों में नहीं है ।"
मैंने पलटवार करते हुए पूछा -" फिर किसके हाथों में है ?"
" पार्टी आला कमान के ।" कुतिलता से मुस्कुराते हुए चल दिए ।

मौलिक एवं अप्रकाशित। ।

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Comment by Mohammed Arif on March 25, 2018 at 10:32am

बहुत-बहुत दिली आभार आदरणीय अजय तिवारी जी । लेखन सार्थक हो गया ।

Comment by Ajay Tiwari on March 25, 2018 at 10:16am

आदरणीय आरिफ साहब,  प्रभावी व्यंग और एक बेहतर लघु- कथा!  हार्दिक बधाई.  

Comment by Mohammed Arif on March 24, 2018 at 3:08pm

रचना के अनुमोदन और हौसला अफज़ाई का बहुत-बहुत आभार आदरणीया नीता कसार जी ।

Comment by Nita Kasar on March 24, 2018 at 2:54pm

व्यंग्यपूर्ण कथा,नेताओं पर आधारित कथा के लिये बधाई आद० मोहम्मद आरिफ़ जी ।वे हाईकमान के इशारों पर नाचते है ।

Comment by Mohammed Arif on March 23, 2018 at 8:06am

लघुकथा पर अपना अमूल्य समय , सांगो-पांगत्र विवेचनत्र, व्यापक दृष्टिकोण और उत्साहवर्धन टिप्पणी का बहुत-बहुत हार्दिक आभार आदरणीय रवि प्रभाकर साहब ।

Comment by Ravi Prabhakar on March 22, 2018 at 10:14pm

वाह ! बहुत ही तीक्ष्‍ण व्‍यंग्‍य कसा है । दरअसल यहॉं व्‍यंग्‍य 'द्वि शरीरी' परिलक्षित हो रहा है । जिसकी उपरी तह में हल्‍का सा हास्‍य उत्‍पन्‍न हो रहा है जबकि दूसरा प्रभावात्‍मक रूप /  " पार्टी आला कमान के ।"/ में पहले स्‍तर को बाण जैसे भेदता हुआ अंदर तक घुस कर एक गहरा घाव दे रहा है । व्‍यंग्‍य का सटीक व पैनापन इस लघुकथा को श्रेष्‍ठ लघुकथायों की श्रेणी में खड़ा कर रहा है । मेरे द्वारा पढ़ी यह आपकी सर्वश्रेष्‍ठ लघुकथा है । नख से शिख तक प्रभावशाली प्रस्‍तुत लघुकथा का शीर्षक इसके प्रभाव को द्वविगुणित कर रहा है । या यूँ कहूं कि इस लघुकथा का शीर्षक इससे बेहतर हो ही नहीं सकता था तो कोई अतिश्‍योक्‍ति नहीं होगी । मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं निवेदित हैं। सादर

Comment by Mohammed Arif on March 22, 2018 at 4:31pm

हृदयतल से आभार आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी । लेखन सार्थक हो गया ।

Comment by नाथ सोनांचली on March 22, 2018 at 3:01pm

आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन। बढिया कटाक्ष किया है आज के परिवेश की राजनीति पर। इस उम्दा प्रस्तुति पर बधाई

Comment by Mohammed Arif on March 22, 2018 at 12:34pm

यह सब आपकी दुआओं और ओबीओ परिवार का नतीजा है । मैं किन लफ्ज़ों में आपका शुक्रिया अदा करूँ मेरे पास तो लफ्ज़ ही नहीं है । दिल की अथाह गहराइयों से बहुत-बहुत शुक्रिया आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब ।

Comment by Samar kabeer on March 22, 2018 at 11:48am

जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,कितना उम्दा तंज़ किया है आपने इस लघुकथा के माध्यम से,बहुत बहतरीन प्रस्तुति,इसके लिए दिल से बधाई स्वीकार करें ।

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