For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1-

वर दे  माता शारदे , रचूँ   प्रीति  के छंद l

हो समष्टि की साधना , बढ़े ह्रदय आनंद ll

बढ़े  ह्रदय आनंद , लेखनी  चलती  जाए l

लिखूँ सदा ही सत्य , झूठ से दिल घबराए ll

'अना' बहुत नादान,  शारदे जग की ज्ञाता l

सिर पर रख दे हाथ, आज तू वरदे माता ।।

2-

सत्कर्मों का फल मिला , पाया  मानव रूप l

जीवन पथ पर रख कदम ,देख न छाया धूप ll  

देख न छाया धूप , मैल   मत मन  में रखना l

करना सबसे प्रेम , स्वाद जीवन का चखना ll

जीवन की यह रीति , सार है  सब धर्मों का l

करना ऐसे कर्म , मिले फल  सत्कर्मों  का ll

- अनामिका सिंह 'अना'

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 810

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anamika singh Ana on March 21, 2018 at 4:06pm

आदरणीय नवीन मणि जी , सादर प्रणाम..कुंडलिया शब्द या शब्द समूह से ही समाप्त होती इतनी ही जानकारी है मुझे..Obo के छंद समूह में सारी जानकारी विस्तार से दी गई है । उससे कुछ कम ही ज्ञान है मुझको , सादर  ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 19, 2018 at 6:24pm

एक शंका है अगर आप को जानकारी हो तो अवश्य बताएं । क्या कुंडलियों में जिस शब्द या शब्द समूह से प्रारम्भ करते हैं उसी शब्द या शब्द समूह से अंत करना अनिवार्य है । यह इससे हटकर भी कुंडलियां लिखी जा सकती हैं ।

Comment by Anamika singh Ana on March 19, 2018 at 12:21pm

आदरणीय विजय निकोर जी , छंद आपको पसंद आया..लेखन कर्म सफल हुआ , मेरा प्रयास  अवश्य रहेगा नवीन रचनाओं के लेखन हेतु ..सादर !

Comment by Anamika singh Ana on March 19, 2018 at 12:17pm

आदरणीया प्रतिभा जी ,प्रस्तुत कुंडलिया छंद को सराहने हेतु आपका हार्दिक आभार ,सादर !

Comment by vijay nikore on March 19, 2018 at 11:52am

बहुत ही खूबसूरत छंद.. आनन्द आ गया। आशा है आप और लिख कर कृतार्थ करेंगी।

Comment by pratibha pande on March 18, 2018 at 7:43pm

जीवन की यह रीति , सार है  सब धर्मों का l

करना ऐसे कर्म , मिले फल  सत्कर्मों  का ll//  सत्य वचन 

बहुत सुगढ़ प्रभावशाली  कुण्डलिया छंद ....हार्दिक बधाई आदरणीया अनामिका जी 

Comment by Samar kabeer on March 16, 2018 at 11:30am

मोहतरमा अनामिका सिंह 'अना'जी आदाब,ओबीओ पर आपका स्वागत है,बहुत उम्दा कुण्डलिया छन्द हुए हैं,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Anamika singh Ana on March 15, 2018 at 6:53pm

आदरणीय सुशील सरना जी , सादर प्रणाम ,

         प्रस्तुत कुंडलिया छंद पर सराहना व प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार आपका  l

Comment by Sushil Sarna on March 15, 2018 at 2:39pm

वाह आदरणीया अनामिका जी बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण कुंडलिया की प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by Anamika singh Ana on March 14, 2018 at 9:22pm

आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले  जी , सादर प्रणाम  l

          ओ बी ओ साहित्यिक परिवार में स्वागत व  प्रथम प्रविष्टि पर प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार आपका 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service