For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

 माना ताज  मिसाल  है , सुंदरता की  एक l

 चीख़ें गूँजीं हैं यहाँ , करुणा भरी अनेक ll

 करुणा भरी अनेक , यहाँ पर लिखीं कहानी l

 कटे   करों  से खून, बहा  है  बनकर  पानी ll

 'अना'  जान ले  सत्य, ताज  का हर दीवाना l

 प्रेम   निशानी  ताज, अजब है जग में माना ll

  - अनामिका सिंह  'अना'

    मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 837

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anamika singh Ana on March 21, 2018 at 3:46pm
  • आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी , सादर अभिवादन , मेरे प्रयास की सराहना हेतु आपका अतिशय आभार..किसी भी विषय पर व्यक्तिगत राय विभिन्न व्यक्तियों की अलग - अलग हो सकती है..सहमति असहमति होती ही है..पुन : मेरी प्रस्तुति को सराहने हेतु आभार स्वीकार  कीजिए! 
Comment by नाथ सोनांचली on March 20, 2018 at 7:32pm

आद0 अनामिका जी सादर अभिवादन। बढिया कुण्डलिया छंद का प्रयास। शेष गुणीजनों ने बढिया सलाह भी दी है। पर व्यक्तिगत रूप से मैं आपके कथ्य का समर्थन नहीं करता। और सुनी सुनाई बातों पर यकीन भी नहीं करता। बहरहाल इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by Anamika singh Ana on March 19, 2018 at 1:50pm

आदरणीया प्रतिभा जी , प्रस्तुत छंद को स्नेह देने हेतु अतिशय आभार आपका , निश्चित ही ताज भारत का गौरव बढ़ाता ऐतिहासिक स्मारक है.. 

मेरा मंतव्य नहीं था कि मेरी रचना से धरोहर विवादित हो..ताज निर्माण के नेपथ्य में जो हुआ वही विचार लिखा ..सादर 

Comment by Anamika singh Ana on March 19, 2018 at 12:38pm

आदरणीय अखिलेश जी , प्रस्तुत छंद की सराहना हेतु अतिशय आभार आपका ..आपने कुछ शब्दों से नवीन रूप दे दिया कुंडलिया को..सादर

Comment by pratibha pande on March 18, 2018 at 8:01pm

ताज विषय लेकर सुन्दर सुगढ़ कुण्डलिया छंद के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया ..अनामिका जी .  मेरी व्यक्तिगत राय में देश की  एतिहासिक धरोहरों  को विवादों से परे रखना चाहिए 

 ...

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on March 17, 2018 at 3:47pm

आदरणीया  अनामिकाजी

हृदय से बधाई, लाखों के मन की बात कहती सुंदर कुण्डलिया। मिडिल स्कूल में इस घटना को पढ़कर मैं द्रवित हो उठा था। उसी उम्र में यह संकल्प लिया था कि कभी ताजमहल नहीं देखूंगा और अब तक इसे निभाते आया हूँ। कुछ पंक्तियों को मैं यूँ लिखता.....

 

माना ताज  मिसाल  है , सुंदरता की  एक l

चीख गूँजती हैं यहाँ , करुणा भरी अनेक ll ... [ताजमहल देखकर सहृदय व्यक्ति को आज भी यह आभास होता है, यही बात लोग जलियावालाँ बाग के संबंध में भी कहते हैं।

 करुणा भरी अनेक ,  इसी पर लिखी कहानी l

 कटे  करों  से खून,  बहा  है  बनकर  पानी ll

 'अना'  जान ले  सत्य, ताज  का हर दीवाना l

 प्रेम  निशानी  ताज,  भूलवश  हमने माना ll

सादर

 

Comment by Samar kabeer on March 17, 2018 at 3:26pm

मेरे कहे को मान देने के लिए धन्यवाद ।

Comment by Anamika singh Ana on March 17, 2018 at 3:08pm

आदरणीय समर कबीर जी , प्रस्तुत  कुंडलिया छंद को सराहने हेतु हार्दिक  आभार आपका..आपके सुंदर सुझाव का बेहद स्वागत  है..मैंने रचना मे

के शिल्प में सुधार कर दिया है..पुन  : बेहद आभार आपका..सादर !

Comment by Samar kabeer on March 16, 2018 at 3:14pm

मोहतरमा अनामिका सिंह "अना' जी आदाब, अच्छा छन्द हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

'चीख गूँजतीं हैं यहाँ, करुणा भरी अनेक'

इस पंक्ति में"गूँजतीं', 'हैं' और "अनेक" शब्द बहुवचन हैं,और 'चीख' शब्द एक वचन,इसलिये इस पंक्ति को यूँ होना चाहिये:-

"चीख़ें गूंजीं हैं यहाँ, करुणा भरी अनेक'

Comment by Anamika singh Ana on March 16, 2018 at 3:02pm

 आदरणीय मो. आरिफ जी , सादर प्रणाम !

         आपकी सुझावयुक्त प्रोत्साहित प्रतिक्रिया हेतु अतिशय आभार ! 

किंतु मैंने ए और ऐ दोनों का मात्राभार गुरु ही पढ़ा है ..संत कबीरदास जी का एक दोहा साझा कर रही हूँ ...

   सुमिरन की सुधि यों करो जैसे कामी काम

   एक पलक बिसरै नहीं निश दिन आठों जाम

 शिल्प में और कोई कमी हो तो अवश्य बताएँ l कथ्य को अच्छा बनाने का मेरा प्रयास जारी है,  सादर l

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service