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अलमारी में रखे शब्दकोष के पन्ने अचानक फड़फड़ाने लगे । हो सकता है ये उनके अंदर की बेचैनी या घबराहट हो । " सहिष्णुता " शब्द ने "संस्कार " से अपनी व्यथा बताते हुए कहा -" मेरे अर्थ को लोग भूल से गए हैं । मैं उपेक्षित जीवन जी रहा हूँ । मेरे मर्म को कोई जानना नहीं चाहता । बुरा तो तब और लगता है जब मेरे आगे "अ" जोड़कर " असहिष्णुता " बनाकर देश में बवाल मचाया जा रहा है ।"
" सच कहती हो " सहिष्णुता" बहना । मेरी भी हालत अनाथों की तरह हो गई है । कोई मुझे अपनाने को तैयार ही नहीं है ।" "संस्कार "बोला ।
दोनों के वार्तालाप को सुन " देशभक्ति " पीड़ा से कराहती हुई बोली -" मेरी हालत तो और भी ख़राब है । आज़ादी के आंदोलनों में साध्य थी मगर आजकल मैं साधन बनकर रह गई हूँ .......।" इतना कहना ही था कि अचानक ज़ोर-ज़ोर से उत्तेजक नारों की आवाज़ें सुनाई दी । शायद दंगाई थे । देखते ही देखते उन्होने आगजनी शुरू कर दी । शब्दकोष भी चपेट में आ गया । " सहिष्णुता " , " संस्कार " और " देशभक्ति " को जलता देख पन्ने पर जलने से बची "हिंसा " रावणी हँसी हँस रही थी ।

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

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Comment by Harash Mahajan on March 12, 2018 at 11:59pm

वाह आ0 आरिफ साहब । असपने आजक्सल की राजनीति के पूरे माहौल को ऊनी उच्च शैली से सामने ला खड़ा कर दिया । आजकल के परिवेश का एक उचित उदाहरण । एक अच्छी पेशकश पर बधाई !

सादर !

Comment by Mohammed Arif on March 12, 2018 at 4:12pm

रचना के अनुमोदन और उत्साहवर्धन का बहुत-बहुत आभार आदरणीया नीता कसार जी ।

Comment by Mohammed Arif on March 12, 2018 at 4:10pm

रचना के अनुमोदन और उत्साहवर्धन का बहुत-बहुत आभार आदरणीय विजय निकोर जी । लेखन सार्थक हो गया ।

Comment by Mohammed Arif on March 12, 2018 at 4:09pm

रचना को मान देने और उत्साहवर्धन का बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय सुशील सरना जी ।

Comment by Sushil Sarna on March 12, 2018 at 3:40pm

वाह शब्दकोष को माध्यम बनाकर वर्तमान परिस्थितियों का बहुत ही सुंदर कड़वा सच आपने उजागर किया है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें सर।

Comment by vijay nikore on March 12, 2018 at 2:12pm

न कुछ शब्द ज़्यादा, न कम .. यह हुई न उच्च स्तर की लघु कथा। दिल से बधाई आपको मोहम्मद आरिफ़ जी।

Comment by Nita Kasar on March 12, 2018 at 2:09pm

कुछ शब्दों को प्रतीक बना कर आपने उम्दा कथा लिखी है।कथा के लिये बधाई आद०मोहम्मद आरिफ़ जी ।

Comment by Mohammed Arif on March 12, 2018 at 8:43am

रचना के अनुमोदन और उत्सासवर्धन का बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय नीलेश जी । संशोधन कर लिया है ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 12, 2018 at 7:42am

अच्छी सार्थक लघुकथा के लिए बधाई.. सहिष्णुता भैय्या नहीं बहना होगी क्यूँ कि यह शब्द स्त्रीलिंगी है ..
सादर 

Comment by Mohammed Arif on March 11, 2018 at 6:24pm

रचना के अनुमोदन और उनके उत्साहवर्धन का बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी ।

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