For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दे सोच कर सज़ाएं गुनहगार हम नहीं - सलीम रज़ा रीवा

221   2121   1221   212 
दे सोच कर सज़ाएं गुनहगार हम नहीं
ये तू भी जानता है ख़तावार हम नहीं
-
जिस पर किया भरोसा वही दे गया  दगा
लेकिन किसी भी शख़्स से बे-ज़ार हम नहीं
-
दिल तो दिया था जान भी तुझपे निसार की
फिर क्यूँ  तेरी नज़र में तेरा प्यार हम नहीं    
-
जिनकी खुशी के वास्ते सब कुछ लुटा दिया
उफ़ वो ही कह रहे हैं वफादार हम नहीं
-
हैरत है दिल के पास थे जिनके सदा 'रज़ा'
अब तो उन्ही के प्यार के हक़दार हम नहीं
____________________
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 727

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on March 12, 2018 at 2:03pm

//जिनकी खुशी के वास्ते सब कुछ लुटा दिया
उफ़ वो ही कह रहे हैं वफादार हम नहीं।//

इसे पढ़ कर दिल झूम उठा। वाह। बधाई।

Comment by SALIM RAZA REWA on March 9, 2018 at 10:43am
बहुत बहुत शुक्रिया जनाब,
Comment by Samar kabeer on March 9, 2018 at 10:42am

बढ़िया ।

Comment by SALIM RAZA REWA on March 9, 2018 at 8:39am
आली जनाब समर साहब,
आपकी ग़ज़ल पर शिर्कत और आपकी महब्बत के लिए शुक्रिया,
मिसरा यूँ कर दिया जाएगा...देखिएगा
" फिर क्यों तेरे दिवानों में दिलदार हम नहीं "
Comment by Samar kabeer on March 8, 2018 at 11:59pm

जनाब सलीम रज़ा साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

तीसरे शैर का सानी मिसरे में सिर्फ़ एक शब्द आपका है, उसूलन जब किसी मिसरे या शैर में तवारुद हो जाता है तो बाद में कहने वाला शाइर अख़लाक़न अपना मिसरा हटा लेता है, आप भी दूसरा मिसरा कह लें,जो आपके लिए बहुत आसान है ।

Comment by SALIM RAZA REWA on March 8, 2018 at 9:49pm
आदरणीय नीलेश जी,
बहुत दिनो बाद आपको पाकर बेहद खुशी हो रही है,
ग़ज़ल पर आपकी शिरक़त और हौसला अफज़ाई के लिए दिली शुक्रिया,
आपने नक्श लायलपुरी के मिसरे के बारे में ज़िक़र किया,
मेरी खुशक़िस्मती है कि मैं उनके मिसरे के क़रीब पहुंच पाया....
अपनी महब्बत बनाए रखे..
Comment by SALIM RAZA REWA on March 8, 2018 at 9:46pm
जनाब बड़े भाई आरिफ साहब,
आपकी महब्बत के बिना मेरा लिखना मुकम्मल नहीं होता यूँ ही अपनी दुआएँ बनाए रहें,
आपका तहे दिल से शुक्रिया
Comment by SALIM RAZA REWA on March 8, 2018 at 9:43pm
आली जनाब तस्दीक अहमद साहिब,
ग़ज़ल पर आपकी शिरक़त और हौसला अफज़ाई के लिए दिली शुक्रिया...
यूँ ही अपनी महब्बत, और नज़रे करम मुसलसल क़ाइम रखें.
Comment by SALIM RAZA REWA on March 8, 2018 at 9:42pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' साहिब,
ग़ज़ल पर आपकी शिरक़त और हौसला अफज़ाई के लिए दिली शुक्रिया..
Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 8, 2018 at 9:14pm

अच्छी ग़ज़ल के लिये बधाई..
एक   मिसरा नक्श लायलपुरी के मिसरे के बहुत करीब है... 
माना तेरी नजर में तेरा प्यार हम नहीं...
सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
10 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service