For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहाने पर ज़माना चल रहा है-ग़ज़ल

1222 1222 122

बहाना ही बहाना चल रहा है
बहाने पर ज़माना चल रहा है

बदलना रंग है फ़ितरत जहाँ की
अटल सच पर दिवाना चल रहा है

नही गम में हँसा जाता है फिर भी
अबस इक मुस्कुराना चल रहा है

निवाला बन गया अपमान मेरा
ये कैसा आबो दाना चल रहा है

वफा मेरी मुनासिब है तो फिर क्यों
अगन सेआजमाना चल रहा है

नहीं रिश्ता है पहले-सा हमारा
मग़र मिलना-मिलाना चल रहा है

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 655

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 24, 2018 at 6:40pm

आदरणीय लक्षमण धामी सर,उत्साहवर्धन के लिए सादर हार्दिक आभार

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 24, 2018 at 3:20pm

अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 20, 2018 at 9:29pm

आदरणीय बृजेश भाई जी हौंसलाफ़ज़ाई के लिए सादर हार्दिक आभार

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 20, 2018 at 9:26pm

आदरणीय बसन्त कुमार शर्मा जी,उत्साहवर्धन के लिए सादर हार्दिक आभार

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 20, 2018 at 2:46pm

खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आदरणीय..

Comment by बसंत कुमार शर्मा on January 18, 2018 at 9:42pm
  • उम्दा अशआर , वाह आनन्द आ गया 
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 17, 2018 at 11:56pm

आदरणीय नीलेश भाई जी अनुमोदन एवं प्रोतसाहन के लिए बहुत बहुत हार्दिक आभार।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on January 17, 2018 at 9:52pm

वाह वा.. आ. सतविंदर जी..अच्छी ग़ज़ल और उम्दा इशारों के लिए बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service