For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

16,16 पर यति,चार पद, दो-दो पद समतुकांत

बढ़ती जाती है आबादी,रोजगार की मजबूरी है
पैसे की खातिर देख बढ़ी,किस-किस से किसकी दूरी है
उस बड़े शहर में जा बैठे, घर जहाँ बहुत ही छोटे हैं
विचार महीन उन लोगों के, जो दिखते तन के मोटे हैं

पहले गाँवों में बसते थे,घर आँगन मन था खुला-खुला
थोड़े में भी खुश रहते थे,हर इक विपदा को सभी भुला
कोई कठिनाई अड़ी नहीं,मिल उसका नाम मिटाते थे
जो रूखा-सूखा होता था,सब साथ बाँट कर खाते थे

तब धमा चौकड़ी होती थी,खेतों की टेढ़ी मेढ़ों पे
बचपन खिलकर पकता रहता,अमरूद, पपीते, बेरों पे
तब चने मटर की फलियां थी,गाजर,मूली शलगम होते
खेत भले थोड़ा था अपना,लेकिन दद्दू सब कुछ बोते

अब बचपन दबा किताबों से,डूबा रहता कुछ खेलों में
कम्प्यूटर,चालित फोन मिले, बहका बस इनके मेलों में
खेत सुरक्षित रहे नहीं हैं,बचपन की उनसे दूरी है
ज़हर छिड़कना है खेतो में,ऐसी भी तो मजबूरी है

सोच समझ कर अब चलना है,धरती को स्वर्ग बनाना है
जल-जीवन सबकुछ निर्मल हो,वातावरण वही लाना है
वन-उपवन से रहे महकती औ हवा जमीं की पावन हो
कुछ ऐसे कदम उठाए हम,जीवन सबका मन भावन हो

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1072

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 17, 2018 at 9:37pm

आदरणीय धामी सर बहुत बहुत आभार हौंसलाफ़ज़ाई के लिए

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 17, 2018 at 9:37pm

आदरणीय तस्दीक अहमद जी ,उत्साहवर्धन के लिए तहेदिल शुक्रिया

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 28, 2017 at 7:28pm

आ. भाई सतविंद्र जी, सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 28, 2017 at 6:29pm

जनाब सतविंद्र कुमार साहिब ,सुन्दर सवैया छन्द हुए हैं ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 28, 2017 at 3:22pm

आदरणीय महेंद्र कुमार जी हौंसलाफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत आभार आपका

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 28, 2017 at 3:21pm

आदरणीय समर कबीर जी,सादर हार्दिक आभार उत्साहवर्धन के लिए

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 28, 2017 at 3:20pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ भाई जी,उत्साहवर्धन के लिए बहुत-बहुत आभार

Comment by Mahendra Kumar on December 27, 2017 at 10:29am

बढ़िया प्रस्तुति है आ. सतविन्द्र जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Samar kabeer on December 26, 2017 at 2:05pm

जनाब सतविन्द्र कुमार जी आदाब,बढ़िया छन्द,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on December 26, 2017 at 12:15pm

आद0 सतविंदर भाई जी सादर अभिवादन। बेहतरीन मत्त सवैया पर बधाई स्वीकार करें। सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service