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ग़ज़ल -मुहताज़ के लिए कभी’ पत्थर नहीं हूँ’ मैं - कालीपद 'प्रसाद'

काफिया : अर ; रदीफ़ : नहीं हूँ मैं

बहर : २२१  २१२१  १२२१  २१२  (२१२१)

तारीफ़ से हबीब कभी तर नहीं हूँ’ मैं

मुहताज़ के लिए कभी’ पत्थर नहीं हूँ’ मैं |

वादा किया किसी से’ निभाया उसे जरूर

इस बात रहनुमा से’ तो’ बदतर नहीं हूँ’ मैं |

वो सोचते गरीब की’ औकात क्या नयी

जनता हूँ’ शाह से कहीं’ कमतर नहीं हूँ’ मैं |

जनमत ने रहनुमा को’ जिताया चुनाव में

हर जन यही कहे अभी’ नौकर नहीं हूँ’ मैं |

अल्लाह ने दिया मेरा’ जीवन, करीम हैं

उन्नत नसीब लान से ऊपर नहीं हूँ’ मैं |

समझो मुझे प्रवाहिनी’ सरिता, बुझाती’ प्यास

खारा नमक भरा हुआ’ सागर नहीं हूँ’ मैं |

हर बात पर विकाश की’ बातें नहीं मैं’ की

मंत्री या’ बेवफा को’ई’ रहबर नहीं हूँ’ मैं |

इस देश की वजूद, हिफाज़त के’ वास्ते

खुश हो चढ़ूँ सलीब पे’, कायर नहीं हूँ’ मैं |

शब्दार्थ : लान=आजार वैजन के खुबसूरत पर्वत

रहबर-नेता ,अगुआ ; सलीब=सूली

मौलिक व अप्रकाशित

 

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Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 5, 2017 at 8:01pm

सराहना के लिए शुक्रिया आ आमोद श्रीवास्तव जी 

Comment by amod shrivastav (bindouri) on December 5, 2017 at 10:07am

बेहतरीन रचना पर मेरी बधाई स्वीकार करें

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 5, 2017 at 9:22am

आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब , हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया |हर प्रकार की कमजोरी  दूर करने की कोशिश जरी है | आदाब 

Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 5, 2017 at 9:19am

आ मनोज कुमार जी , सराहना के लिए तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by Samar kabeer on December 4, 2017 at 5:23pm

जनाब कालीपद प्रसाद मण्डल जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करे,भाषाई कमज़ोरियों पर क़ाबू पाने का प्रयास करें ।

Comment by Manoj kumar shrivastava on December 4, 2017 at 12:26pm
आदरणीय प्रसाद जी, इस बेहतरीन रचना पर मेरी बधाई स्वीकार करें।
Comment by Kalipad Prasad Mandal on December 4, 2017 at 11:36am

आ मोहम्मद आरिफ साहिब ,आदाब हौसला अफजाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया 

Comment by Mohammed Arif on December 3, 2017 at 5:41pm
आदरणीय कालीपद प्रसाद जी आदाब,
बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल । हर शे'र माक़ूल । हार्दिक बधाई स्वीकार करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

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