For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत - मुखड़ा -
करे तमस को दूर दीप ही, दूर भागता अँधियारा |
दीप निभाये धर्म सदा ही, जलकर करता उजियारा ||

सूर्य किरण उठ भोर झाँकती, नित्य सदा ही खिड़की से
दीन करे विश्राम डरे बिन, सदा मेघ की घुड़की से ।।

दीन-हीन के द्वार जहाँ भी, घिरने लगता अँधियारा
दीप निभाये धर्म सदा ही, जलकर करता उजियारा ।

दीप जलाएं द्वारें जाकर, छँटे दीन का अन्धेरा ।
सबको दे उजियार दीप ही,पर खुद का नही सवेरा ।।

दुख दर्दों की मार झेलता, दीन हीन सा दुखियारा 
दीप निभाये धर्म सदा ही,जलकर करता उजियारा ।।

हुआ तिमिर हैरान युद्ध में, जय द्रथ को जब मौत मिली
धूप छाँव का खेल हुआ जब,अँधियारा क्यों बना छली |

दीपक अपना कर्म मानता,करना जग में उजियारा ।।
दीप निभाये धर्म सदा ही, जलकर करता उजियारा ।|

कटे तमस की रात जहाँ भी, घर भर में खुशियाँ छायें |
विकसित होगा देश शीघ्र ही, हम सबको ये आशायें ||
नहीं रौशनी जब तक होती, हँसता रहता अँधियारा |
दीप निभाये धर्म सदा ही, जलकर करता उजियारा ।|

(मौलिक व अप्रकाशित)

- लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

Views: 696

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 8, 2017 at 4:04pm

प्रस्तुत गीत रचना का मुखड़ा और पूरक पंक्तियाँ कुकुभ छंद में (जिस्समे यति 22 मात्र भार में अनिवार्य होती है) और अंतरे लावणी छंद आधारित है जिसमे मात्रा भार १-2 या 22 दोनों हो सकते है | सादर आभार स्वीकारे |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 8, 2017 at 3:59pm

भाव पक्ष सराहने के लिए हार्दिक आभार आपका डॉ. गोपाल नारायण जी, मुखड़ा और पूरक पंकियां 16-14 के अंतर्गत कुकुभ छंद में और अंतरे लावनी छंद में रचित है | सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 8, 2017 at 3:51pm

बहुत बहुत आभार आपका श्री मोहम्मद आरिफ साहब |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 8, 2017 at 3:28pm

गीत पर सापेक्ष प्रतिक्रया के लिए हार्दिक आभार आपका श्री सुशील सरना जी |

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 6, 2017 at 8:42pm
सुन्दर गीत रचना आदरणीय..
Comment by Samar kabeer on November 5, 2017 at 8:50pm
जनाब लक्ष्मण रामानुज जी आदाब,गीत का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
जनाब गोपाल नारायण जी की बातों का संज्ञान लें ।
Comment by Mohammed Arif on November 5, 2017 at 7:44am
आदरणीय लक्ष्मण रामानुज जु आदाब, बहुत ही सुंदर गीत की पेशकश । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 4, 2017 at 7:01pm

आ० आपकी शुरुआत ककुभ छंद [ १६ १४ ]  अंत  में दो गुरु से हुयी पर पूर गीत में यह विन्यास कायम नहीं रह पाया . शिल्प के सापेक्ष भाव को सराहनीय कहा जाएगा .  सादर .

Comment by Sushil Sarna on November 3, 2017 at 8:06pm

एक सुंदर और भावपूर्ण तथा संदेशप्रद गीत  ... हार्दिक बधाई आदरणीय लाड़ीवाला जी। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service