For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (आ गये सिमट के)

फइलात -फ़ाइलातुन -फइलात -फ़ाइलातुन


सरे राह उसने देखा जो मुझे पलट पलट के |
उसी दिन से रह गया हूँ मैं मुआशरे से कटके |

अभी रूठ कर उठे थे कि कड़क के बर्क़ चमकी
मेरी बाहों में वो सहमे हुए आ गये सिमट के |

बड़ी रात जा चुकी है कोई ख़ाक आएगा अब
शबे ग़म मेरी इधर आ तुझे रो लूँ मैं लिपट के |

जो ग़रीब हौसला है उसे होगा कुछ न हासिल
वही जाम पा सकेगा जो उठा ले ख़ुद झपट के |

जिन्हें गुमरही का डर था वही पा गये हैं मंज़िल
जिन्हें ज़ोमे आगही था वही कारवाँ हैं भटके |

मेरे साथ गामज़न है मेरा गर्दिशे मुक़द्दर
मेरे हमसफ़र तू चलना ज़रा दूर मुझ से हटके |

जिन्हें सुनके दोस्तों ने दी थी ख़ूब दाद तस्दीक़
वही शेर बे तहाशा मेरे नाक़दो को खटके |

मुआशरा--- समाज , गुम रही --भटकने
ज़ोम --गुमान , आगही--जानकारी
नाक़िद --तन्क़ीद करने वाले

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 848

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 20, 2017 at 6:09pm

जनाब ब्रजेश कुमार साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 20, 2017 at 9:19am
बहुतखूब बहुतखूब आदरणीय तस्दीक साहेब एक और खूब ग़ज़ल कही..
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 20, 2017 at 9:14am

जनाब आशुतोष साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 19, 2017 at 10:51pm
आदरणीय तस्दीक़ जी यहग़ज़ल भी बहुत उम्दा है। उर्दू शब्दों के अर्थ साथ में होने से इन्हें समझना आसान हो गया इस रचना पर भी हरदुक बधाई सादर
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 18, 2017 at 5:14pm
मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब, आपकी ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया, महरबानी
Comment by Samar kabeer on October 18, 2017 at 3:01pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई,बधाई आपको ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 18, 2017 at 1:50pm
जनाब नीलेश साहिब ,आपकी ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 18, 2017 at 11:38am

वाह वा ..आ. तस्दीक साहब
उम्दा अशआर हैं..
बधाई

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 18, 2017 at 10:46am
जनाब अजय साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 18, 2017 at 10:45am
जनाब दिनेश साहिब ,ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service