For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बाज़ार में जूतमपैजार (लघुकथा)/ शेख़ शहज़ाद उस्मानी

"अब्बू, चलिए जूतों की दुकान पर!"
"नहीं बेटा, ई़़द़ के लिए तुम ही कोई सस्ती सी चप्पलें ख़रीद लाओ मेरे लिए!"
"आप भी चलिये न, दिल बहल जायेगा!" सुहैल ने अपने अब्बू को पलंग से लगभग उठाते हुए कहा।
"ख़ाक दिल बहलेगा। वहां तो ऐसा लगता है कि ग्राहक, दुकान के नौकर और मालिक और जूते-चप्पलों की कम्पनियां सब एक-दूसरे को जूते मार रहे हों!"
"हां, सो तो है! जूतमपैजार और हमें ग़रीबी का अहसास!" सुहैल ने अब्बू को पलंग पर लिटाते हुए कहा।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 481

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 29, 2017 at 7:56pm
रचना पर समय देकर अनुमोदन व हौसला अफज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' साहब।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 26, 2017 at 10:49pm
अच्छी लघु कथा हुई आदरणीय..सादर
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 26, 2017 at 7:29pm
हौसला अफज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय तेज वीर सिंह जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on September 26, 2017 at 7:02pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।आदाब।बेहतरीन लघुकथा।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 26, 2017 at 6:53pm
रचना पर समय देकर अनुमोदन व हौसला अफज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहब, मोहम्मद आरिफ़ साहब,, जनाब महेंद्र कुमार जी व आदरणीय कल्पना भट्ट जी।
आदरणीय महेंद्र जी दो बार'और'के प्रयोग की त्रुटि पर ध्यान आकृष्ट कराने व सुझाव के लिए सादर हार्दिक आभार।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 25, 2017 at 10:04pm

उम्दा लघुकथा लिखी है आपने आदरणीय शहजाद जी एक प्रश्न आ रहा है मन में अन्यथा न लीजियेगा 

"हां, सो तो है! जूतमपैजार और हमें ग़रीबी का अहसास!" सुहैल ने अब्बू को पलंग पर लिटाते हुए कहा।

यह एक बच्चे ने कही न बात , क्या इतनी गंभीर बात उसके मुंह से कहलवाना ठीक होगा ? कितना बड़ा है यह ? सादर |

Comment by Mahendra Kumar on September 25, 2017 at 8:07pm

वाह! बहुत ही उम्दा लघुकथा है आ. शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. 

"दुकान के नौकर और मालिक जूते-चप्पलों की कम्पनियाँ"

सादर.

Comment by Samar kabeer on September 25, 2017 at 7:21pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,कम शब्दों में बहुत सुंदर लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on September 25, 2017 at 1:25pm
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,क्या कहने । बहुत ही मासूम लघुकथा में सशक्त कथानक को सफल अमली जामा पहना दिया आपने । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service