For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"राखी" (चौपइया छंद)

पर्वों में न्यारी, राखी प्यारी,
सावन बीतत आई।
करके तैयारी, बहन दुलारी,
घर आँगन महकाई।
पकवान पकाए, फूल सजाए,
भेंट अनेकों लाई।
वीरा जब आया, वो बँधवाया,
राखी थाल सजाई।।

मन मोद मनाए, बलि बलि जाए,
नव उमंग है छाई।
भाई मन भाए, गीत सुनाए,
खुशियों में बौराई।
डाले गलबैयाँ, लेत बलैयाँ,
छोटी बहन लडाई।
भाल पे बिंदिया, ओढ़ चुनरिया,
जीजी मंगल गाई।।

जब जीवन चहका, बचपन महका,
तुम थी तब हमजोली।
संग संग खेली, तुम अलबेली,
आए याद ठिठोली।
पूरा घर चटके, लटकन लटके,
आंगन में रंगोली।
रक्षा की साखी, है ये राखी,
बहना तुम मुँहबोली।।

हम भारतवासी, हैं बहु भाषी,
मन से भेद मिटाएँ।
यह देश हमारा, बड़ा सहारा,
इसका मान बढ़ाएँ।
बहना हर नारी, राखी प्यारी,
सबसे ही बँधवाएँ।
त्योहार अनोखा, लागे चोखा,
हमसब साथ मनाएँ।।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 568

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 11, 2017 at 6:50am
बहुत सुंदर रचना ,हार्दिक बधाई।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 8, 2017 at 9:33pm

सुंदर कविता लिखी है आपने आदरणीय वासुदेव जी | हार्दिक बधाई | 

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on August 8, 2017 at 5:09pm
आ0 समर कबीर जी आपसे रचना को प्रशंसा मिली लिखना सार्थक हुआ। आपका हृदय से आभार।
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on August 8, 2017 at 5:07pm
आ0 मोहम्मद आरिफ जी आपका हृदय तल से आभार।
Comment by Samar kabeer on August 8, 2017 at 4:18pm
जनाब बासुदेव जी आदाब,बहुत सुंदर कविता लिखी रक्षा बंधन पर,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on August 8, 2017 at 10:17am
आदरणीय वासुदेव जी आदाब, रक्षा बंधन की गरिमा-गौरव और सकारात्मक संदेश से भरपूर रचना के लिए हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
5 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service