For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1222 1222 1222
दुआओं की पहुँच तो आसमाँ तक है
मगर तू बोल तेरी हद कहाँ तक है

तेरी ख़ामोशी तेरा घर जला देगी
अभी शोला पड़ोसी के मकाँ तक है

ज़माना चाँद को छू आया है लेकिन
तू अब भी जुगनुओं की दास्ताँ तक है

परस्तिश देखिए गौ माँ के भक्तों की
अक़ीदत सिर्फ़ उन सबकी ज़बाँ तक है

वहाँ से देखता हूँ दुनिया को ऐ जाँ
रसाई तेरी नज़रों की जहाँ तक है

Meaning:
परस्तिश - पूजा, अक़ीदत - श्रद्धा
रसाई - पहुँच
-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 709

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ajay Tiwari on October 31, 2017 at 1:25pm

आदरणीय शिज्जु साहब,
बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक शुभकामनाएं.
सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 31, 2017 at 12:26pm

आप सभी से क्षमा माँगता हूँ, मेरी ग़ज़लों को मुहब्बतों से नवाज़ने के लिए आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया

Comment by Mohammed Arif on April 15, 2017 at 6:06pm
वाह!वाह!! क्या ख़ूब ग़ज़ल कही है आदरणीय शिज्जू शकूर साहब । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए ।
Comment by narendrasinh chauhan on April 15, 2017 at 5:24pm

लाजवाब 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on April 14, 2017 at 4:50pm
वाह आदरणीय बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल हुई..बधाई
Comment by Samar kabeer on April 13, 2017 at 8:00pm
जनाब शिज्जु शकूर साहिब आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by Gurpreet Singh jammu on April 13, 2017 at 5:40pm
तेरी ख़ामोशी तेरा घर जला देगी
अभी शोला पड़ोसी के मकाँ तक है

वाह आदरणीय शिज्जू शकूर जी..बहुत बढिआ ग़ज़ल हुई है..
Comment by Gurpreet Singh jammu on April 13, 2017 at 5:40pm
तेरी ख़ामोशी तेरा घर जला देगी
अभी शोला पड़ोसी के मकाँ तक है

वाह आदरणीय शिज्जू शकूर जी..बहुत बढिआ ग़ज़ल हुई है..
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 12, 2017 at 8:17pm

वाह वाह और वाह ..शिज्जू भाई...
बहुत बढ़िया ग़ज़ल पेश की आपने ....
काश लोग समझ सकें ..
आमीन 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
11 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
11 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service