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याद मेरी दिला रही होगी (गजल)/सतविन्द्र कुमार राणा

2122 1212 22
उनको हिचकी सता रही होगी
याद मेरी दिला रही होगी

चैन दिल का खो गया होगा
आँसुओं को बहा रही होगी

फ्रेम कस के पकड़ लिया होगा
प्यार तस्वीर पा रही होगी

हौंसला काम कर गया होगा
पास मंजिल अब आ रही होगी

वक्त के साथ सब बदलते हैं
रुत यही तो सिखा रही होगी

भूख ने दूर कर दिए बच्चे
कैसे माँ मन लगा रही होगी ?

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 8, 2017 at 5:01pm
आदरणीय सुशील सरना जी,सादर नमन!गजल प्रयास पर प्रोत्साहक टिपण्णी के लिए,बहुत बहुत आभार
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 8, 2017 at 4:59pm
आदरणीय रवि शुक्ल सर,इस प्रयास पर उपस्थित होकर,हौंसला बढाने के लिए,हारदिक आभार, सादर नमन!
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 8, 2017 at 4:58pm
आदरणीय मुहम्मद आरिफ जी,सादर नमन,गजल के इस प्रयास को अनुमोदित कर हौंसलाफ़ज़ाई के लिए हार्दिक आभार!
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on April 8, 2017 at 11:09am
आदरणीय सतविंदर भाई बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई। सादर।
Comment by Samar kabeer on April 7, 2017 at 9:34pm
जनाब सतविन्द्र कुमार जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

'प्यार फोटो भी पा रही होगी'
इस मिसरे में एक बात तो ये कि 'भी'शब्द भर्ती का है, और दूसरी अहम बात ये कि "फोटो"शब्द पुल्लिंग है, इसलिये मिसरा यूँ कहना मुनासिब होगा :-
"प्यार तस्वीर पा रही होगी"
देखियेगा ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 7, 2017 at 7:11pm

भूख ने दूर कर दिए बच्चे
कैसे माँ मन लगा रही होगी ?---वाह्ह्ह्हह 

बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आद० सतविन्द्र भैय्या बहुत बहुत बधाई लीजिये 

Comment by Sushil Sarna on April 7, 2017 at 3:21pm

उसको हिचकी सता रही होगी
याद मेरी दिला रही होगी

बहुत खूब आदरणीय सतविन्द्र जी ... बहुत ही दिलकश अशआर हैं। .. हार्दिक बधाई सर।

Comment by Ravi Shukla on April 7, 2017 at 1:28pm

आदरणीय सतविन्‍द्र जी गजल का प्रयास अच्‍छा हुआ है फ्रेम को पकड़ने का नया खयाल लिया है बधाई स्‍वीकार करें

Comment by Mohammed Arif on April 7, 2017 at 12:47pm
आदरणीय सतविंद्र कुमार जी आदाब, प्रेम के रंग में डूबी प्यारी-सी ग़ज़ल के लिए शे'र दर शे'र मुबारकबाद ।

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