For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल अब्रे जहराब से बरसा है ये कैसा पानी

वज़्न - 2122 1122 1122 22/112

अब्रे जहराब से बरसा है ये कैसा पानी ।
भर गया मुल्क की आँखों में हया का पानी ।।

मिट ही जाए न कहीं शाख जे एन यू की अब ।
आइये साफ़ करें मिल के ये गन्दा पानी।।

मन्नतें उन की हैं हो जाएं वतन के टुकड़े ।
सर के ऊपर से निकल जाए न खारा पानी ।।

कुछ हैं जयचन्द सुख़नवर जो खुशामद में लगे ।
बेच बैठे हैं जो इमानो कलम का पानी ।।

आलिमों का है ये तालीम ख़ता कौन कहे ।
ख़ास साजिश के तहत हद से गुजारा पानी ।।

जल गए अम्नो सुकूँ ख़ाक चमन कर बैठे ।
देखिये शह्र में अब आग लगाता पानी ।।

हो रहे पाक परस्ती में वो मशहूर बहुत ।
ले रहे मौज से जो देश में दाना पानी ।।

तालिबानों का हक़ीक़त से भला क्या रिश्ता ।
भेजते अक्ल सरेआम वो काला पानी ।।

हर तरफ धुंध है छाया है घना सा कुहरा ।
खौफ ख़ातिर है यहां देर से ठहरा पानी ।।

बुनते साजिश हैं ये गद्दार बगावत के लिए ।
तल्ख़ अरमान पे लोगों ने बिखेरा पानी ।।

--

--नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 697

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on March 8, 2017 at 9:06pm
इस अच्छी सामयिक ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय नवीन जी। गुणीजनों की बातों का ध्यान रखें। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 8, 2017 at 8:12pm

आदरणीय नवीन भाई , बहुत अच्छी सामयिक ग़ज़ल हुई है .. हार्दिक बधाइयाँ । आदरनीय समर भाई जी की सुझाई बातों का ख्याल कीजियेगा ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 8, 2017 at 7:20pm
आ0 नीलेश भाई सादर आभार । आपकी बात से पूर्णतया सहमत हूँ ।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 8, 2017 at 8:16am

ग़ज़ल पर कोई टिप्पणी नहीं करूँगा लेकिन इतना भर ज़रूर कहूँगा कि अगर लिखने का हुनर है तो कुछ constructive और बियॉन्ड टाइम लिखा जाये. ऐसे सामयिक विषय जब कल पुराने हो जायेंगे तो हर शेर के साथ रेफरेंस भी देना पड़ेगा नई पीढ़ी को ... 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 8, 2017 at 8:16am

ग़ज़ल पर कोई टिप्पणी नहीं करूँगा लेकिन इतना भर ज़रूर कहूँगा कि अगर लिखने का हुनर है तो कुछ constructive और बियॉन्ड टाइम लिखा जाये. ऐसे सामयिक विषय जब कल पुराने हो जायेंगे तो हर शेर के साथ रेफरेंस भी देना पड़ेगा नई पीढ़ी को ... 

Comment by रामबली गुप्ता on March 8, 2017 at 7:15am
भाई नवीन मणि जी बहुत ही सुंदर प्रयास हुआ है ग़ज़ल पर। दिल से बधाई लीजिये। आद समर भाई साहब की बातों पर गौर करियेगा। सादर
Comment by रामबली गुप्ता on March 8, 2017 at 7:15am
भाई नवीन मणि जी बहुत ही सुंदर प्रयास हुआ है ग़ज़ल पर। दिल से बधाई लीजिये। आद समर भाई साहब की बातों पर गौर करियेगा। सादर
Comment by Samar kabeer on March 7, 2017 at 3:36pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,इसके लिये बधाई स्वीकार करें ।
मतले के ऊला मिसरे में'अंजुमन'शब्द भर्ती का है,और सानी मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखिये 'मुल्क की' ।
तीसरे शैर के सानी मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखिये 'बज़्म में' ।
चौथे शैर के सानी मिसरे में'इमां' शब्द ग़लत है,सही शब्द है "ईमां"।
'आलिमों का है ये तालीम ख़ता कौन कहे'
इस मिसरे में 'तालीम'शब्द स्त्रीलिंग है, इसलिये ये मिसरा यूँ कीजिये:-
"आलिमों की है ये तालीम ख़ता कौन कहे" ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागत है"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
Thursday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Apr 14

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service