For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे कंधे पे अपना सर रक्खो (ग़ज़ल)

2122 1212 22

पूरे करने का जब हुनर रक्खो
ख़्वाब आँखों में तो ही भर रक्खो

इक नज़र ख़ुद पे डाल लो पहले
बाद में दुनिया पर नज़र रक्खो

बच्चे हैं, बचपना दिखाएँगे
चाहे कितना भी डाँटकर रक्खो

चैन की नींद चाहिए जो तुम्हें
ख्वाहिशें अपनी मुख़्तसर रक्खो

मेरा ईमान ही ख़ुदा है मेरा
अपनी दीनारें अपने घर रक्खो

आओ कुछ दर्द बाँट लूँ तुमसे
मेरे कंधे पे अपना सर रक्खो

तीरगी है जो दिल की बस्ती में
एक जलता दिया उधर रक्खो

इससे पहले कि कोई दस्तक दे
दिल का दरवाज़ा खोलकर रक्खो

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 477

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 20, 2017 at 9:46pm
वाह वाह बहुतखूब...खूबसूरत ग़ज़ल हुई
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 20, 2017 at 2:48pm

वाह भाई जय्नित जी सुन्दर लफ्जों में सरल तरीके से कही गयी दिलकश ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 18, 2017 at 11:01pm

अच्छी ग़ज़ल कही है आद० जयनित जी बाकी समर भाई जी ने मार्गदर्शन कर ही दिया .

Comment by Sushil Sarna on January 18, 2017 at 7:19pm

तीरगी है जो दिल की बस्ती में
एक जलता दिया उधर रक्खो

इससे पहले कि कोई दस्तक दे
दिल का दरवाज़ा खोलकर रक्खो

बहुत खूब आदरणीय जयनित कुमार जी .... इस दिलकश ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई कबूल फरमाएं सर।

Comment by Samar kabeer on January 18, 2017 at 3:25pm
जनाब जयनित कुमार मेहता जी आदाब,ग़ज़ल उम्दा हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

'पूरे करने का जब हुनर रक्खो
ख़्वाब आँखों में तो ही भर रक्खो'

'ख़्वाब'शब्द चूँकि एक वचन है इसलिए ऊला में 'पूरे'नहीं कह सकते,मतला यूँ किया जा सकता है :-

'पूरा करने का जब हुनर रक्खो
ख़्वाब आँखों में तब ही भर रक्खो'

वैसे तो पूरी ग़ज़ल में ऐब-ए-तनाफ़ुर है, उस पर दूसरे शैर में एक और,'डाल लो',ऊला यूँ कर सकते हैं :-

'इक नज़र खुद को देख लो पहले'

पांचवें शैर के सानी मिसरे में 'दीनारें'शब्द अच्छा नहीं लगता,कारण ये कि 'दीनार' हमारे देश की मुद्रा नहीं है,ये मिसरा यूँ कर सकते हैं :-

'अपनी दौलत को अपने घर रक्खो'

बाक़ी शुभ शुभ ।
Comment by नाथ सोनांचली on January 18, 2017 at 1:18pm
आदरणीय जयनित मेहता जी सादर अभिवादन, उम्दा गजल पर शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद कबूल फरमाएँ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 18, 2017 at 12:23pm

आदरणीय जयनित जी, बढ़िया ग़ज़ल कही है. हार्दिक बधाई. मतला में गुंजाइश लग रही है. बाकी गुनीजन मार्गदर्शन करेंगे ही. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
46 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service