For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहर 2212 2212 की रचना।

हिन्दी हमारी जान है,
ये देश की पहचान है।

है मात जिसकी संस्कृत,
मा शारदा का दान है।

साखी कबीरा की यही,
केशव की न्यारी शान है।

तुलसी की रग रग में बसी,
रसखान की ये तान है।

ये सूर के वात्सल्य में,
मीरा का इसमें गान है।

सब छंद, उपमा और रस
की ये हमारी खान है।

उपयोग में लायें इसे,
अमृत का ये तो पान है।

ये मातृभाषा विश्व में,
सच्चा हमारा मान है।

इसको करें हम नित 'नमन',
भारत की हिन्दी आन है।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 451

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 12, 2017 at 8:49pm
उत्तम अतिउत्तम ...शुभकामनाएं

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 11, 2017 at 3:26pm

आदरणीय बासुदेव अग्रवाल जी, आपने मातृभाषा को समर्पित बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखी है. दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. आदरणीय समर कबीर जी के साझा मार्गदर्शन के बाद शेर और निखर गए है. सादर 

Comment by Samar kabeer on January 11, 2017 at 2:02pm
'सब छन्द रस उपमा की ये' 'सब छन्द'बहुवचन हुआ न ?
"सब छन्द रस उपमा के ये"
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on January 11, 2017 at 11:54am

मोहम्मद आरिफ़ साहिब गज़ल में शिरकत करने के लिए और दाद देने के लिए ह्रिदय से आभार्।

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on January 11, 2017 at 11:52am

आदरणीय समर साहिब आपके सारे सुझाव सर आंखों पर। कितनी बारिकी से आप सर छोटी से छोटी बात देख लेते हैं।

वात्सल्य इसमें सूर का,
मीरा का मोहक गान है।

सब छंद, रस, उपमा की ये
 हिन्दी हमारी खान है।

उपरोक्त तरीके से दोनों शेर ठीक करने से आदरणीय कैसा रहेगा।

Comment by Mohammed Arif on January 11, 2017 at 8:06am
आदरणीय वासुदेव अग्रवालजी आदाब, हिन्दी की गरिमा ,गौरव को रेखांकित करती ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद ! बाक़ी समर साहब ने सब कुछ कह दिया है ।
Comment by Samar kabeer on January 10, 2017 at 8:52pm
जनाब बासुदेव अग्रवाल'नमन'जी आदाब,हिन्दी को समर्पित आपकी ये ग़ज़ल आपके जज़्बात को बख़ूबी बयान करने में कामयाब है, इसके लिये मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
दूसरे शैर में 'मा' या "माँ" ?
पांचवें शैर में कोई दोष नहीं,लेकिन जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा है कि सानी मिसरे में 'इसमें'शब्द की जगह "देखो"शब्द बहुत सुंदर लगेगा,आपका क्या ख़याल है ?
छटे शैर के ऊला मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है "और रस"देखियेगा ।
इस सुंदर और भावपूर्ण ग़ज़ल के लिये आपको मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service