For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खोट के नोट (लघुकथा)

"देखो नम्मो, तू रोज़ाना की तरह उसी रास्ते से अपनी बस्ती में पहुँच कर ये नोट सिर्फ़ झुग्गियों में रहने वाली समझदार औरतों को सारी बात अच्छे से समझा कर बांट देना!" बबीता ने अपनी दूधवाली के दूध के डिब्बे में पुराने पाँच सौ के कुछ नोट भरते हुए कहा- "हमारे नहीं, तो तुम्हारे जैसों के ही काम आ जायें, तो कुछ तसल्ली मिले!"

नम्मो अपने बीमार बेटे को गोदी में लेकर मालकिन के कहे मुताबिक़ अपनी बस्ती की ओर जाने लगी। रास्ते में बदहवास हालत में एक आदमी अपनी साइकल खड़ी कर, भूख से तड़पते अपने बच्चे की दुहाई देते हुए दूध के डिब्बे को पकड़ कर उस से थोड़ा सा दूध माँगने लगा।

"इसमें दूध नहीं है भैया! इसमें ख़ून है हम ग़रीबों का , अमीरों के खोट के नोट हैं!"

"बस, अब रहने दे, कुछ मत कह, समझ गया! कल मैंने भी तो यही काम किया था! न नोट बदले और न पेट भरा, बैंक की लाइन से लौटना पड़ा!"

"फिर क्या किया तुम्हारी बस्ती के लोगों ने और तुमने?" नम्मो ने पूछा।

"जहां से आये थे, वहीं पहुंच गए वे नोट। कुछ नमक और आटे की एक-एक बोरी के बदले में!"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 653

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 10, 2016 at 9:35pm
मेरा यह प्रस्तुति भी आपको पसंद आई। रचना पर समय देने व अपने विचार साझा करते हुए स्नेहिल प्रोत्साहन देने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी व आदरणीया नीता कसार जी।
Comment by Nita Kasar on December 1, 2016 at 6:49pm
तीखी कटाक्ष करती लघु कथा में नीयत की खोट को खूब उकेरा है,आपने मुश्किल से जीवन यापन करने वालों की व्यथा बड़े लोग क्या जानें।बधाई आपको आद०शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी ।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 1, 2016 at 4:25pm

नोट बंदी पर सुंदर व्यंग में लघु कथा 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 29, 2016 at 7:04pm
मेरी इस ब्लोग पोस्ट पर उपस्थित हो कर स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब मिथिलेश वामनकर साहब, जनाब विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी जी व जनाब विजय निकोरे जी।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on November 28, 2016 at 10:44pm
आदरणीय उस्मानी जी खोट के नोट पर करारी चोट हुई है। बेहतरीन लघुकथा, बधाई।
Comment by vijay nikore on November 28, 2016 at 8:11am

बहुत ही खूबसूरत तंज। हार्दिक बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 27, 2016 at 11:27pm

आदरणीय उस्मानी जी, बहुत बढ़िया व्यंग्य हुआ है. इस शानदार लघुकथा पर हार्दिक बधाई.

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 27, 2016 at 11:04pm
ऐसा लगना स्वाभाविक है लेकिन मैं साधारण सा अशासकीय शिक्षक हूँ , मुझ पर नोटबंदी का वैसा असर नहीं है जैसा टीवी पर दिखाया व सुनाया जा रहा है! कथानक सूझ गए तो लिख लीं दो-तीन लघुकथायें। बहुत ख़ुशी हासिल हुई कि आप मेरी ब्लोग पोस्ट पढ़ते ही नहीं, संबंधित बातें याद भी रखते हैं। रचना के अनुमोदन व हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत बहुत मुबारकबाद मोहतरम जनाब समर कबीर साहब।
Comment by Samar kabeer on November 27, 2016 at 9:25pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत बढ़िया तंज़ में भीगी हुई लघुकथा है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

लगता है नोट बन्दी का आप पर कुछ ज़ियादा ही असर हुआ है,इस पर शायद ये आपकी तीसरी लघुकथा है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service