For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक ग़ज़ल की कोशिश : मेरी तालीम का मुझ पर असर है !

मेरी तालीम का मुझ पर असर है,
जो तेरे सामने झुकती नज़र है ।


बिना गलती के माँगूं मैं मुआफ़ी,
यही रिश्ते निभाने का हुनर है ।

के जब इंसान पत्थर भी जो मारे,
उसे बदले में फल देता शज़र है ।

हर इक चेहरे पे नक़ली मुस्कुराहट,
बड़े फनकार लोगों का शहर है ।

अमीरी में भी कितने ग़म है तुमको,
किसी की बददुआओं का कहर हैं ।

के पूरी हो ही जाती हर तमन्ना,
मेरे अल्लाह की मुझ पर मेहर है ।

मुझे मंज़िल मिलेगी एक न एक दिन,
इसी उम्मीद में कटता सफ़र है ।

बड़ा शायर बना फिरता है देखो,
वही "अम्बेश" जो अब दरबदर है ।

::::

अम्बेश तिवारी "अम्बेश"

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 1045

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 16, 2016 at 1:30pm

वाह्ह्ह्हह वाह्ह्ह्ह बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है जनाब अम्बेश जी 

बिना गलती के माँगूं मैं मुआफ़ी,
यही रिश्ते निभाने का हुनर है ।

के जब इंसान पत्थर भी जो मारे,
उसे बदले में फल देता शज़र है ।-----शानदार शेर 

दिल से बधाई लीजिये 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 20, 2016 at 12:28pm
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ आदरणीय अम्बेश जी!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 20, 2016 at 4:39am

आदरणीय, आप उर्दू लिहाज़ के ग़ज़लकार हैं तो उर्दू के लफ़्ज़ों का उसी अनुरूप प्रयोग करें. और, अनावश्यक कि या के का प्रयोग करना कमज़ोर विन्यास की निशानी है. लघु मात्रिकता को निभाने का यह बड़ा ही ग़लत चलन है. इससे बचना श्रेयस्कर होगा. 

बाकी, आपका प्रयास रुचिकर लगा है. कहन में तनिक और गठन और सोच का होना उचित होगा. 

शुभेच्छाएँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 19, 2016 at 8:11pm

आदरणीय अम्बेश भाई , अच्छी गज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार् कीजिये ।
यहाँ गज़ल के ऊपर बहर लिखने की परम्परा है , अतः बहर लिख दिया कीजिये , सीखने वालों को  समझने मे आसानी होती है ।

बाक़ी आ. समर भाई जी की कही बातों से मै भी सहमत हूँ , खयाल कीजियेगा ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 19, 2016 at 7:08pm
अम्बेश भाई स्वागत है बहुत खूब । कबीर साहब की बात पर गौर कीजियेगा ।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 18, 2016 at 5:17pm
आदरणीय अम्बेश जी खूबसूरत गजल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें । सादर ।
Comment by Sushil Sarna on October 18, 2016 at 1:29pm

मेरी तालीम का मुझ पर असर है,

जो तेरे सामने झुकती नज़र है ।


बिना गलती के माँगूं मैं मुआफ़ी,

यही रिश्ते निभाने का हुनर है ।

वाह आदरणीय अम्बेश जी क्या खूबसूरत अशआर हैं ... हकीकत बयानी करती इस दिलकश ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by नाथ सोनांचली on October 18, 2016 at 4:24am
आदरणीय अम्बेश तिवारी जी सादर अभिवादन, आपकी गजल बढ़िया बन पढ़ी है। मेरी ह्रदय से बधाई कबूल करें।
आगे जनाब समर कबीर साहब ने सुझा ही दिया है।
Comment by Samar kabeer on October 17, 2016 at 7:21pm
मेरी दुआएं और शुभकामनाएं आपके साथ हैं,लेकिन भाई समीर कबीर नहीं,समर कबीर ।
Comment by Ambesh Tiwari on October 17, 2016 at 6:30pm
जनाब समीर कबीर साहब आपका बहुत शुक्रिया कि आपने मेरी ग़ज़ल को सराहा और खामियों को भी बताया ! अभी सीखने के दौर से गुज़र रहा हूँ ! आप लोगों के मार्गदर्शन में धीरे धीरे यह खामियाँ भी दूर हो जायेंगी ! एक बार फिर शुक्रिया !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
39 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
7 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
11 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service