For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं बंजारन खोज रही हूँ
तेरे निशाँ
यह रेत के टीले
मिटा रहें है जो  निशानियाँ ,
घूम घूम कर तलाश रही हूँ
तेरे कदमों के चिह्न
जो कभी हुआ करते थे
इन्हीं  रेतीली ज़मीन पर |

आती थी आवाज़ तुम्हारी
दूर से ही
पुकारते हुए दौड़े चले आते थे ,
तुम अपने घर से
मुझसे मिलने को ,
गवाह है -
यह यहाँ की  सर ज़मीं |

वो कटीले पौधे
जो चुभ जाते थे तुम्हें
आज भी यहीं हैं
देखती हूँ इनपर
तुम्हारा सुखा हुआ खून
जो जम गया है |

भटकती रहती हूँ
तुम्हारी ही तलाश में
कहने लगी हैं सखियाँ
बंजारन हो गयी हो |

हाँ मैं बंजारन
तुम्हारी जोगन
बन घूम रहीं हूँ
तलाश रही हूँ
तुम्हें इसी रेगिस्तान में

सुने पड़े है गलियारे

टीले भी खामोश गए हैं

आओगे तुम कहती हैं

यह हवाएं मस्तानि |

आओगे न .............

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 709

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 23, 2016 at 6:20pm
बेहतरीन भावों का सम्प्रेषण हुआ है हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना दीदी।कुछ शब्द गलतटँकित हुए हैं कृपया गौर फरमाएं।यथा सुखा:सूखा, सुने=सूने,मस्तानि=मस्तानी।सादर
Comment by pratibha pande on September 23, 2016 at 2:14pm

अच्छी रचना ,  सुन्दर शब्द चुने हैं ...हार्दिक बधाई आपको आदरणीय कल्पना जी 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 21, 2016 at 10:59pm
धन्यवाद आदरणीय सुरेश कुमारजी।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 21, 2016 at 10:58pm
धन्यवाद आदरणीय श्याम नारायण जी ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 21, 2016 at 10:57pm
धन्यवाद आदरणीय शिज्जु भैया ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 21, 2016 at 10:57pm
आदाब जनाब समर साहब । आपका तहदिल से शुक्रिया ।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 21, 2016 at 8:10pm
आदरणीया कल्पना भट्ट जी आपके नाम को सार्थक करती सुन्दर कल्पना।सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई । सादर ।
Comment by Shyam Narain Verma on September 21, 2016 at 4:12pm
बहुत  ही सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति .. बधाई 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 21, 2016 at 2:06pm

आ. कल्पना दीदी अच्छी कविता हुई है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Samar kabeer on September 21, 2016 at 10:25am
मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा आदाब,बहुत बढ़िया लगी आपकी कविता,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service