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टूटे पैमाने ....

टूटे पैमाने   .... 

२२ २२ २२ २ 

कुछ टूटे पैमाने हैं
कुछ रूठे दीवाने हैं 


कुछ हैं सपनों में डूबे
कुछ खुद से अंजाने है

 

यादों के तहखानों में
बंद कई अफ़साने हैं 

सोये शानों पर मेरे
टूटे ख़्वाब पुराने हैं 

सहमे सहमे आँखों से
छलके दर्द दीवाने हैं 

मुझको उसकी नज़रों से
बहते ज़ख्म चुराने हैं 


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sushil Sarna on June 7, 2016 at 8:03pm

आ.  maharshi tripathi जी  ग़ज़ल की प्रस्तुति पर आपकी मन मुदित करती प्रशंसा का  शुक्रिया।

Comment by maharshi tripathi on June 7, 2016 at 5:36pm
छोटी परंतु भावपूर्ण रचना हेतु,बधाई आपको !!!
Comment by Sushil Sarna on June 7, 2016 at 11:14am

आ.  Tasdiq Ahmed Khan    जी  ग़ज़ल की प्रस्तुति पर आपकी नज़रे इनायत  का दिल से शुक्रिया

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 6, 2016 at 8:50pm

मोहतरम जनाब सुशील सरना साहिब ,  छोटी बहर में सुन्दर ग़ज़ल के लिए शेर दर शेर दाद और मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं

Comment by Sushil Sarna on June 6, 2016 at 1:10pm

आ.  pratibha pande     जी  ग़ज़ल की प्रस्तुति पर आपकी नज़रे इनायत  का दिल से शुक्रिया

Comment by pratibha pande on June 6, 2016 at 12:32pm

बहुत  खूबसूरत  ग़ज़ल ,ढेरों बधाई प्रेषित है आपको आदरणीय सुशील सरना जी 

Comment by Sushil Sarna on June 6, 2016 at 12:27pm

आ. सुरेश  जी  ग़ज़ल की प्रस्तुति पर आपकी मन मुदित करती प्रशंसा का  शुक्रिया। नेट व्यवधान के कारण आभार व्यक्त न कर पाया, क्षमा चाहूंगा। 

Comment by Sushil Sarna on June 6, 2016 at 12:26pm

आ.  राहिला    जी  ग़ज़ल की प्रस्तुति पर आपकी नज़रे इनायत  का दिल से शुक्रिया। नेट व्यवधान के कारण आभार व्यक्त न कर पाया, क्षमा चाहूंगा। 

Comment by Sushil Sarna on June 6, 2016 at 12:25pm

आ.   rajesh kumari   जी  ग़ज़ल की प्रस्तुति पर आपकी होसला अफ़ज़ाई का दिल से शुक्रिया। नेट व्यवधान के कारण आभार व्यक्त न कर पाया, क्षमा चाहूंगा। 

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on June 6, 2016 at 10:23am
बहुत ही सुन्दर गजल श्री मान बधाई स्वीकार करें ।

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