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प्रस्तावित है कुछ खुशियाँ - गीत

स्तावित खुशियाँ

प्रस्तावित है कुछ खुशियाँ
कुछ सपनों का अनुबंध

दीवारों ने कब देखी है
नील गगन की क्यारी
सोच रही है तन्हाई
कब जायेगी लाचारी

हिम्मत के जब पाँव बढ़े
दानों का हुआ प्रबंध

अरमानों की किस्मत में
क्यों होता कहर जरूरी
समझोते की भठ्ठी में
करता है मौन मजूरी

स्वीकारा प्रतिक्षण ऋतू ने
परिवर्तन से सम्बन्ध

बजते बजते सरगम की
सब टूट रहीं हैं तारें
बस यादों में आते हैं
गीतों के मुखड़े सारे

आया जब सुरधाम बुलावा
तोड़ दिए प्रतिबन्ध

प्रस्तावित हैं कुछ खुशियाँ 
कुछ सपनों का अनुबंध

यह  रचना  मौलिक एवं अप्रकाशित है 

आशा  देशमुख 

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2016 at 10:19pm

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति  आशा जी हार्दिक  बधाई  आपको 

Comment by Sushil Sarna on June 2, 2016 at 7:00pm

आदरणीया आशा जी सुंदर और भावपूर्ण गीत की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 2, 2016 at 6:31pm

आदरणीया आशा जी , सुन्दर गीत रचना के लिये आपको हार्दिक बधाई ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 2, 2016 at 3:17pm

बहुत सुंदर गीत आदरणीया आशा देशमुख जी | बधाई |

Comment by pratibha pande on June 2, 2016 at 12:00pm

बहुत सुन्दर गीत, मुखड़ा और तीनों बंद  सुन्दरता से भावों को प्रेषित कर रहे है , प्रवाह सुन्दर है ,, हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया आशा देशमुख जी  

Comment by Samar kabeer on June 1, 2016 at 12:31pm
मोहतरमा आशा देशमुख साहिबा आदाब,पहली बार आपकी रचना से रूबरू हुआ हूँ ।
इस सुंदर गीत के लिये बधाई स्वीकार करें ।

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