For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इंतज़ार ....

ये बादे सबा
आज किसकी सदा लाई है
कुछ कम्पन्न है
कुछ नमी है
कुछ भीगी सी तन्हाई है
शायद ! अधूरे अहसासों ने
ज़हन में करवट ली है
लफ्ज़ लबों की हदों पर
तिश्नगी के अज़ाब में
डूबे नज़र आते हैं
इन साँसों की बेचैनियों में
जाने किस अजनबी का ख़ुलूस
करवटें लेता है
ये मेरी तदब्बुर में
किसके लम्स रक्स करते हैं
कोई तो नाख़ुदा होगा
जो मेरी हयात के सफ़ीने को
साहिल तक ले जाएगा
दबे पाँव आकर
मेरी खाकाए-हयात में
अपनी चराग़े-मुहब्बत जला जाएगा
अपनी पोरों की मस से
मेरे आरिजों पे गिरी
उलझी ज़ुल्फ़ों को सुलझा जाएगा
इक मुद्दत का इंतज़ार
इक पल में मिटा जाएगा

(ख़ुलूस =सच्चा प्यार /तदब्बुर =सोच/मस=स्पर्श/खाकाए -हयात=ज़िंदगी का चित्र )

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित



Views: 767

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on May 19, 2016 at 6:50pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत ख़ूब वाह, इस शानदार प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Pawan Kumar on May 19, 2016 at 12:36pm

मेरी खाकाए.हयात में
अपनी चराग़े.मुहब्बत जला जाएगा
बेहतरीन
हार्दिक बधाई

Comment by Sushil Sarna on May 18, 2016 at 9:15pm

आदरणीय तस्दीक अहमद साहिब प्रस्तुति आपकी तारीफ़ की कदमबोसी करती है। आपकी आत्मीय प्रशंसा का  दिल से आभार। 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on May 18, 2016 at 9:12pm

एक मुद्दत का इंतज़ार एक पल में मिटा जायेगा ------वाह जनाब सुशिल सरना साहिब , दिल को छू लेने वाली सुन्दर रचना के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं

Comment by Sushil Sarna on May 18, 2016 at 9:08pm

आदरणीय जान गोरखपुरी जी प्रस्तुति आपकी आत्मीय सराहना पाकर धन्य हुई।  आपका दिल से आभार। 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 18, 2016 at 6:15pm
कोई तो नाख़ुदा होगा
जो मेरी हयात के सफ़ीने को
साहिल तक ले जाएगा

बेहद शानदार हार्दिक बधाई सर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service