For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"सखेद" - [छंद- चौपईया/जयकरी पर आधारित]

[छंद- चौपईया/जयकरी पर आधारित मापनी मुक्त रचना]

रहो सोचते तुम मत आज,
कर लो जो करना है काज।
भले दूसरों की मत मान,
मन की अपने तुम लो जान । /1/

नुक्ता-चीनी करते टोक,
नेक काम पर थोपें रोक।
यही इस ज़माने का राज़,
कर्मयोगी समझ लो आज। /2/

होता शिक्षा का व्यापार,
रहे निर्धन वर्ग लाचार।
है योजनाओं का प्रचार,
फिर भी होते अत्याचार। /3/

टी.वी., फ़िल्मों को तू देख,
भूल गीता-क़ुरआन-लेख,
पाठ सिखाते सारे वेद,
चूक गये तुम यही सखेद। /4/


हुये बिगड़ों संग सत्कार,
गुरूजन दें सिर्फ फटकार,
दे सत्संग की सीख कौन,
माँ-बाप की मिले दुत्कार। /5/

करे क्यों ख़ुदकुशी से प्यार,
प्यार ख़ुद क्यों न बांटे यार,
होता क्या बिन बांटे प्राप्त,
करे .... हीनता .... बंटाधार। /6/

हैं जीवन के दिन दो-चार,
देखो प्रतिभा अपनी यार,
है हर किसी में इसका धाम,
करो निखारने पर विचार। /7/

मिलती हमें भक्ति से शक्ति,
या फिर जगे शक्ति से भक्ति,
दें माँ दुर्गा आशीर्वाद,
मनाता नवरात्रि जब व्यक्ति। /8/

अद्भुत लीला का त्योहार,
दुर्गा ... पूजा ... बारम्बार,
हुआ जगमग देखो जहान,
शक्ति-भक्ति का है आधार। /9/


[मौलिक व अप्रकाशित]

Views: 656

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 2:53am
मेरी इस रचना पर समय देकर मार्गदर्शित करने व हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 2:47am
मेरी इस रचना पर समय देकर मार्गदर्शित क करने व हौसला अफ़ज़ाई हेतु बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 15, 2015 at 5:44pm

जयकरी छंद पर सुंदर प्रयास के लिए हार्दिक  बधाई श्री शेख शहजाद भाई | यह अवश्य ही की कई  जगह लय भंग है | अतः थोड़ा समय और दे - जैसे  देखे -

करे क्यों ख़ुदकुशी से प्यार,  - ख़ुदकुशी से करे क्यों प्यार, 
प्यार ख़ुद क्यों न बांटे यार,   - प्यार स्वयं ही  बाँटे यार  |
होता क्या बिन बांटे प्राप्त,     - मिलता क्या बिन बाँटे प्राप्त 
करे .... हीनता .... बंटाधार।   - करे  हीनता  बन्टाधार  ||

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 15, 2015 at 11:08am
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय Samar Kabeer जी , परिमार्जन कर दिया है, शेष आगे के मार्गदर्शन अनुसार बाद में कर दूँगा। ओबीओ में नया होने के कारण समय लगता है। सादर धन्यवाद।
Comment by Samar kabeer on October 14, 2015 at 11:19pm
जनाब उस्मानी जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ,आली जनाब गोपाल नारायण जी की बात पर ध्यान दीजियेगा ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 14, 2015 at 10:37pm
असीम प्रोत्साहन प्रदान करने हेतु बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीया कान्ता राय Kanta Roy जी।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 14, 2015 at 10:36pm
परिमार्जन सुझाव दे कर कमियों को समझाने के लिए तहे दिल बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय डॉ़
गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी। अभी क ख ग ही सीख रहा हूँ, ग़ुस्ताख़ी माफ़ आदरणीय जी।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 14, 2015 at 9:07pm

आ० उस्मानी जी आपने मात्रिक विन्यास निभाने की कोशिश की है किन्तु प्रवाह अधिकतर बाधित है ;'शिक्षा का कराते व्यापार' में तो मात्रा भी बढ़ गयी है . मैं  आपकी कविता की कुछ पंक्तियो मे जयकारी की लय एवं प्रवाह लाने का प्रयास करता हूँ .

रहो सोचते तुम मत आज

करना है जो कर लो काज

बात दूसरो  की मत मान

बस अपने ही मन की जान ---हर गंगा

Comment by kanta roy on October 14, 2015 at 8:13pm
टी.वी., फ़िल्मों को तू देख,
भूल गीता-क़ुरआन-लेख,
पाठ सिखाते सारे वेद,
चूक गये तुम यही सखेद..... वाह ! बहुत खूब छंद बने है आपके , सब एक से बढकर एक । बधाई आपको आदरणीय शेख शहज़ाद जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service