For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धर्मान्धों की नगरी में (ग़ज़ल)

बह्र : २२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २

 

इंसाँ दुत्कारे जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

पर पत्थर पूजे जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

 

शब्दों से नारी की पूजा होती है लेकिन उस पर

ज़ुल्म सभी ढाये जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

 

नफ़रत फैलाने वाले बन जाते हैं नेता, मंत्री

पर प्रेमी मारे जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

 

दिन भर मेहनत करने वाले मुश्किल से खाना पाते

ढोंगी सब खाये जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

 

आँख मूँद जो करें भरोसा सच्चे भक्त कहे जाते

बाकी सब कोसे जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

 

गली गली अंधेर मचा है फिर भी जन्नत की ख़ातिर

सारे के सारे जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

------------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 567

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 11, 2015 at 11:10am

क्या बात है आदरणीय , बहुत कठिन रदीफ ले कर आपने जिस सरलता से निभा दिया है , काबिले तारीफ है । बेहतरीन ग़ज़ल के लिये आपको दिली बधाइयाँ ।

Comment by Samar kabeer on September 10, 2015 at 11:15pm
जनाब धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी,आदाब,वाह,बहुत ख़ूब,शानदार,शैर दर शैर दाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 10, 2015 at 7:14pm
सत्य - वचन। बधाई , आदरणीय धर्मेन्द्र सिंह जी , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 10, 2015 at 7:05pm
आदरणीय धर्मेंद्र जी आपकी ग़ज़लगोई का अपना लहजा है इस ग़ज़ल में भी आपकी विशेषता दिखती है। इस ग़ज़लके लिये आपको हार्दिक बधाई
Comment by Shyam Narain Verma on September 10, 2015 at 5:52pm
सुंदर भाव लिए, उत्तम रचना के लिए बधाई ....
Comment by Ravi Shukla on September 10, 2015 at 5:51pm

आरणीय धर्मेन्‍द्र जी बधाई सुन्‍दर ग़ज़ल हुई है रदीफ ही रदीफ सानी में है फिर भी आपने कथ्‍य को बहुत ही खूबसूरती से उसमें पिरो लिया है शेर दर शेर दाद कुबुल करें ।

Comment by दिनेश कुमार on September 10, 2015 at 5:12pm
बेहतरीन ग़ज़ल के लिए दिल से दाद क़बूल करें आदरणीय भाई धर्मेंद्र जी। वाह वाह

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 10, 2015 at 3:03pm

आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र जी, बहुत ही शानदार ग़ज़ल हुई है. काफिया का बढ़िया प्रयोग देखने मिला और रदीफ़ भी क्या खूब ली है. इस रदीफ़ में बहुत बढ़िया बढ़िया शेर निकाले है. आपको इस शानदार ग़ज़ल पर शेर दर शेर दाद के साथ दिल से मुबारकबाद.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
13 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
53 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।... मतले पर…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, कुछ सुझाव पेश…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service