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रोबोट घंटों लगातार काम करता है

और कुछ ही समय में फिर से रीचार्ज हो जाता है

 

कारखाने से कबाड़खाने तक

रोबोट कहीं नियम नहीं तोड़ता

 

रोबोट चुपचाप सुनता है उच्चाधिकारियों की सारी बातें

और इजाज़त मिलने पर ही बोलता है

 

रोबोट बिना किसी विरोध के उन सारी बातों में यकीन कर लेता है

जो उसकी मेमोरी में भरी जाती हैं

 

रोबोट अपने मालिकों के लिए ढेर सारा पैसा कमाता है

और बदले में उसे सिर्फ़ रीचार्ज और मेन्टीनेन्स मिलता है

 

रोबोट में भरी जा सकती हैं दुनिया भर की सूचनाएँ

रोबोट कर सकता है दुनिया के सारे काम

 

रोबोट को इंसान से बेहतर बनाया जा सकता है

रोबोट की मदद लेकर इंसान को बेहतर बनाया जा सकता है

 

लेकिन रोबोट को कभी इंसान नहीं बनाया जा सकता

क्योंकि रोबोट को दर्द नहीं होता

और अपनी तमाम योग्यताओं के बावजूद

रोबोट महज़ एक सामान भर है

-------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 20, 2015 at 10:25pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सौरभ जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 20, 2015 at 2:35pm

रोबो के माध्यम से संवेदना के पहलू को बखूबी उभारने का प्रयास भला लगा आदरणीय धर्मेन्द्रजी. 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 11, 2015 at 11:43am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय शिज्जू जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 11, 2015 at 11:43am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय राजेश कुमारी जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 11, 2015 at 11:42am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जवाहर लाल जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 10, 2015 at 10:50pm
वाह क्या बात कही है बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिये

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 10, 2015 at 10:32pm

बहुत अच्छी कविता रोबोट का बिम्ब लेकर अधीनस्थ कर्मचारी के क्या खूब हालात बयाँ किये रोबोट हो या नौकर या अधीनस्थ  कर्मचारी 

यही तो स्थिति है |बधाई आपको 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 10, 2015 at 9:45am

अधीनस्थ कर्मचारी/अधिकारी रोबोट ही तो हैं खासकर निजी संस्थानों में 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 9, 2015 at 5:41pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मिथिलेश जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 9, 2015 at 5:17pm

आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र जी, सही कहा आपने रोबोट ही हो गए है आजकल...यही है नौकर होने का मतलब .... इस शानदार प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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