For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(बह्र - 1222-1222-1222-1222)


किसी दिन ख़त्म होगी डोर, धागा टूट जाएगा -
अचानक ज़िन्दगी! तुझसे भी नाता टूट जाएगा -

जो बोलूँ झूठ तो खुद की निगाहों में गिरूँगा मैं
जो सच कह दूँ तो फिर से एक रिश्ता टूट जाएगा -

बस इतनी बात ने ताउम्र हमको बाँधकर रक्खा
किसी के दिल में कायम इक भरोसा टूट जाएगा -

चराग़ों ने ये जो ज़िद की है अबकी आजमाने की
हवा का हौसला भी, देख लेना, टूट जाएगा -

वो हों जज़्बात या फिर कोई नद्दी हो कि दोनों में
उफ़ान इक हद से ज्यादा हो, किनारा टूट जाएगा -


(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 680

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 4, 2015 at 8:58pm

मज़ा आगया भाई विवेक. मन खुश हो गया.
ग़ज़ल तो पूरी ही उम्दा है. लेकिन इस शेर ने कहीं दूरतक छुआ है.
बस इतनी बातने ताउम्र बाँध कर रक्खा
किसी के दिल में कायम इक भरोसा टूट जाएगा .. . वाह

शुभेच्छाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 25, 2015 at 2:47am

वाह वाह वाह 

आदरणीय विवेक जी बहुत ही बेहतरीन और उम्दा ग़ज़ल कही है आपने 

एक एक शेर नायब है 

इस मुकम्मल ग़ज़ल के लिए दिल से दाद हाज़िर है 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 14, 2015 at 8:59pm

आ० विवेक जी इस लाजवाब गजल पर आपको दिल से बधाई!दिल बाग़ बाग़ हो गया!सादर!

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 13, 2015 at 4:08pm
अच्छे अश’आर हुए हैं आ. विवेक जी, दाद कुबूल करें

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 13, 2015 at 3:53pm

आदरणीय विवेक भाई , लाजवाब ग़ज़ल कही है , सभ्ही अशार खूब हुये हैं , दिली बधाई आपको ।

Comment by Samar kabeer on June 13, 2015 at 10:44am
जनाब विवेक मिश्र जी,आदाब,वाह वाह वाह,क्या ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही है,सुनकर दिल बाग़ बाग़ हो गया,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
Comment by shree suneel on June 13, 2015 at 8:56am
चराग़ों ने ये जो ज़िद की है अबकी आजमाने की
हवा का हौसला भी, देख लेना, टूट जाएगा -.... उम्दा!
शानदार, ख़ूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय विवेक जी. बधाई.. बधाई आपको.
Comment by वीनस केसरी on June 12, 2015 at 11:18pm

जो बोलूँ झूठ तो खुद की निगाहों में गिरूँगा मैं
जो सच कह दूँ तो फिर से एक रिश्ता टूट जाएगा -

बस इतनी बात ने ताउम्र हमको बाँधकर रक्खा
किसी के दिल में कायम इक भरोसा टूट जाएगा -

चराग़ों ने ये जो ज़िद की है अबकी आजमाने की
हवा का हौसला भी, देख लेना, टूट जाएगा -


वाह विवेक बाबू दिल खुश कर दिया ....

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 12, 2015 at 7:58pm

विवेक जी

सुन्दर गजल के लिए दाद कबूल फर्माएं

जो बोलूँ झूठ तो खुद की निगाहों में गिरूँगा मैं
जो सच कह दूँ तो फिर से एक रिश्ता टूट जाएगा -

Comment by narendrasinh chauhan on June 12, 2015 at 11:03am

लाजवाब , खूब सुन्दर गजल रचना ,बधाई हो,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
18 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत दोहे चित्र के मर्म को छू सके जानकर प्रसन्नता…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर,  प्रस्तुत दोहावली पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आर्ष ऋषि का विशेषण है. कृपया इसका संदर्भ स्पष्ट कीजिएगा. .. जी !  आयुर्वेद में पानी पीने का…"
19 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service