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और कितने नाम हैं..अतुकांत/ छन्दमुक्त रचना -नूर

कोई झील बे-चैन सी,

कोई प्यास बे-खुद सी,

कोई शोखी बे-नज़ीर सी,

तेरी आँखों के और कितने नाम है.....

 

कोई ख़्याल बे-शक्ल सा, 

कोई सितारा बे-नूर सा,

कोई बादल बे-आब सा,

मेरे अरमानों के और कितने नाम है.....

 

कोई रात बे-पर्दा सी,

कोई बिजली बे-तरतीब सी,

कोई अंगडाई बे-करार सी,

तेरी अदाओं के और कितने नाम है ....

 

कोई पत्थर बे-दाम सा,

कोई झरना बे-ताब सा,

कोई मुसाफिर बे-घर सा,

मेरी मोहब्बत के और कितने नाम है......

 

कोई दौलत बे-हिसाब सी,

कोई शोहरत बे-शुमार सी,

कोई गाडी बे-लगाम सी,

तेरी यादों के और कितने नाम है......

 

कोई आंसू बे-सबब सा,

कोई रिश्ता बे-मेल सा,

कोई इलज़ाम बे-वहज सा,

मेरी वफ़ा के और कितने नाम है......

 

और कितने नाम हैं .........
.
नूर
मौलिक / अप्रकाशित 

Views: 840

Comment

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Comment by Saurabh Pandey on April 28, 2015 at 1:21pm

आदरणीय नीलेशजी,

रचना लगातार मुलायम-मुलायम होती चली गयी है. प्रस्तुति के प्रश्नों पर पाठक मुग्ध होता जाता है.

हार्दिक शुभकामनाएँ..

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 28, 2015 at 12:18pm

शुक्रिया आ. डॉ साहब 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 28, 2015 at 12:18pm

शुक्रिया आ. नरेंद्र सिंह जी 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 28, 2015 at 12:18pm

शुक्रिया आ. श्याम जी 

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 28, 2015 at 11:18am
छे के छेओ बहुत सुन्दर, सारगर्भित, आदरणीय नीलेश शेवगांवकर जी , इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई , सादर।
Comment by narendrasinh chauhan on April 28, 2015 at 11:07am

कोई झील बे-चैन सी,

कोई प्यास बे-खुद सी,

कोई शोखी बे-नज़ीर सी,

तेरी आँखों के और कितने नाम है....बहुत बहुत सुन्दर रचना,

Comment by Shyam Narain Verma on April 28, 2015 at 10:26am
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..

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