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प्रेम भाव को समर्पित कुछ दोहे ..........(डॉ० प्राची)

स्वेच्छा से बिंधता रहा, बिना किसी प्रतिकार 

हिय से हिय की प्रीत को, शूलदंश स्वीकार 

ईश्वर प्रेम स्वरूप है, प्रियवर ईश्वर रूप 

हृदय लगे प्रिय लाग तो, बिसरे ईश अनूप 

कब चाहा है प्रेम ने, प्रेम मिले प्रतिदान 

प्रेमबोध ही प्रेम का, तृप्त-प्राप्य प्रतिमान 

भिक्षुक बन कर क्यों करें, प्रेम मणिक की चाह ?

सत्य न विस्मृत हो कभी, 'नृप हम, कोष अथाह' !

प्रवहमान निर्मल चपल, उर पाटन सुरधार

कालकूट बंधन मलिन, हरें नद्य व्यवहार 

(मौलिक और अप्रकाशित)

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Comment by narendrasinh chauhan on April 27, 2015 at 6:03pm

स्वेच्छा से बिंधता रहा, बिना किसी प्रतिकार 

हिय से हिय की प्रीत को, शूलदंश स्वीकार

बहोत सुन्दर

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 27, 2015 at 6:32am

सभी दोहे भावपूर्ण ...

स्वेच्छा से बिंधता रहा, बिना किसी प्रतिकार 

हिय से हिय की प्रीत को, शूलदंश स्वीकार 

बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीया Dr.Prachi Singh जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 26, 2015 at 8:46pm

बहुत ही सुंदर दोहे ,आदरणीया डा.प्राची जी. हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 26, 2015 at 6:02pm
प्रेमबोध ही प्रेम का, तृप्त-प्राप्य प्रतिमान
बहुत सुन्दर, सारगर्भित, सभी दोहे अच्छे हैं। बधाई, आदरणीय डॉ o प्राची सिंह जी, सादर।
Comment by vijay nikore on April 26, 2015 at 5:56pm

दोहे बहुत ही अच्छे लगे। बधाई।

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on April 26, 2015 at 4:53pm

आदरणीया प्राचीजी 

कब चाहा है प्रेम नें, प्रेम मिले प्रतिदान 

प्रेमबोध ही प्रेम का, तृप्त-प्राप्य प्रतिमान .........  सुंदर भाव 

सही कहा आपने ........  जो प्यार के बदले माँगे प्यार। वो प्यार नहीं, करते व्यापार।। 

दोहावली की हार्दिक बधाई 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 26, 2015 at 4:13pm

ईश्वर प्रेम स्वरूप है, प्रियवर ईश्वर रूप 

हृदय लगे प्रिय लाग तो, बिसरे ईश अनूप    क्या कहने!!

बहुत ही सुन्दर दोहावली हुयी है आदरणीया हार्दिक बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 26, 2015 at 4:09pm

आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी प्रेम भाव से सराबोर बहुत सुंदर दोहावली हुई है. हार्दिक बधाई आपको इस प्रस्तुति हेतु.....

स्वेच्छा से बिंधता रहा, बिना किसी प्रतिकार 

हिय से हिय की प्रीत को, शूलदंश स्वीकार ..... बहुत सुन्दर दोहा 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 26, 2015 at 12:12pm

आदरणीया डॉ प्राची जी बहुत सुंदर दोहावली है बहुत बहुत बधाई आपको

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