For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

महिला दिवस पर रचित -

घनाक्षरी – 16-15 वर्ण

कंधें से कंधा मिला काम करे जो खेत में,

भोर में उठ, देर रात तक जगती है |

 

खुद का वजूद भूल मान रखे आदमी का,

सर्वस्व समर्पण को तैयार रहती है |

 

शादी कर अनजान घर बसाने, कोख में,

नौ माह तक पीड़ा भी सहती रहती है |

 

फिर भी स्वयं का नही कोई वजूद मानती,

नाम बच्चें को भी वह बाप का ही देती है |

 

सर्दी गर्मी वर्षा सहती अंग भी झुलसाती,

दूजे घर काम से पाई पाई जोडती है |

 

व्रत है कहकर खुद तो भूखी ही सोती,

अपने पति और बच्चों को खाना देती है | 

 

देवी मान पूजते पर, अबला ही मानते,

कष्ट सहकर भी नौकरी जो करती है |

 

बेबसी में जमीदार के द्वारें ब्याज में ही ,

आँचल से मुहं ढापे, लाज बेच जाती है |

(मौलिक अप्रकाशित)

Views: 730

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 13, 2015 at 11:18am

आ० भाई  लडीवाला जी , बहुत सुन्दर घनाक्षरी रचना हुई है और भाव भी बहुत सुन्दर हैं , हार्दिक बधाई .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 13, 2015 at 8:45am

आदरणीय लक्ष्मणजी रचना के भाव अच्छे हैं बधाई आपको, पर गेयता बाधित है ज़रा देख लीजियेगा

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 12, 2015 at 9:49pm
मार्मिक प्रस्तुति, आदरणीय लक्षमण रामानुज लडीवाला जी, बधाई, सादर।
Comment by Shyam Mathpal on March 12, 2015 at 8:33pm

Aadarninay Laxam Ji,

Bahut hi marmik and hakikat ka drishya prastut kiya aapne .  Ek naari pure jivan desaron ke liye jiti hai khud ko bhulakar.....  Parinam.. ?

Comment by maharshi tripathi on March 12, 2015 at 8:24pm

बेबसी में जमीदार के द्वारें ब्याज में ही ,

आँचल से मुहं ढापे, लाज बेच जाती है |,,,,,,अंत तो बहुत बढ़िया आ.लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी ,,बहुत बहुत बधाई आपको |

Comment by Shyam Narain Verma on March 12, 2015 at 4:18pm
भावनाओं से ओतप्रोत रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें.... 
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 12, 2015 at 4:03pm

सर्दी गर्मी वर्षा सहती अंग भी झुलसाती,

दूजे घर काम से पाई पाई जोडती है |

व्रत है कहकर खुद तो भूखी ही सोती,

अपने पति और बच्चों को खाना देती है |

सार्थक रचना पर बहुत बहुत बधाई! आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी!

Comment by Hari Prakash Dubey on March 12, 2015 at 3:45pm

आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी , बहुत सुन्दर घनाक्षरी रचना और भाव भी बहुत सुन्दर हैं , हार्दिक बधाई आपको इस रचना पर ! सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service