For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"अरी भागवान, क्यों हमेशा कामवाली के पीछे हाथ धोकर पडी रहती हो ?"
"आजकल इसका दिमाग बहुत ख़राब हो गया है।"  
"आखिर बात क्या हुई?"  
"एक हो तो बताऊँ। बिना बताये छुट्टी मार जाती है, काम करते हुए मौत पड़ती है इसे, पर एडवांस हर महीने चाहिए मुई को"
"अरे शान्त रहो, वो सुन रही है।"     
"सुनती है तो सुने, गर्मियों के बाद उठा कर बाहर फ़ेंक दूँगी इसको।"
"मगर कामवाली के बगैर घर के इतने सारे काम कौन करेगा ?"
"क्यों ? बेटे की शादी करके नई बहू किस लिए ला रहे हैं ?"

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1257

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on February 25, 2015 at 10:06am

आदरणीय योगराज सर बहुत ही सुन्दर लघुकथा, सशक्त रचना है, वर्तमान मैं अक्सर समाज में ऐसा ही होता देखा जा रहा है , आदरणीय गोपाल सर ने सही शब्द कहा टिपिकल इंडियन सास ,मानसिकता पर सटीक और तीखा व्यंग्य पर आजकल बहू आकर उल्टा कर देती हैं , सास ही कामवाली बनकर रह जाती है  ! आपको हार्दिक बधाई! सप्रणाम !

Comment by khursheed khairadi on February 25, 2015 at 9:41am

"क्यों ? बेटे की शादी करके नई बहू किस लिए ला रहे हैं ?"

आदरणीय योगराज सर ,सभी की रचनाओं को को स्थान देने एवं पोर्टल की सामग्री को मैनेज करने के कार्य द्वारा आपकी साहित्य-सेवा वंदनीय है |मुझ जैसे कई उतावले स्वघोषित साहित्यकार अपनी रचना पोस्ट करवाने के उतावलेपन में शीर्षक तक सही बॉक्स में नहीं डालते ,फॉण्ट तक सही  चयन नहीं करते ,उचित स्पेस तक नहीं देते और टाइपिंग त्रुटि करके बार बार एडिट करके आपका कार्य बढ़ा देते हैं ,इस सबके बावजूद आपके साहित्य में उत्कृष्ठता और श्रेष्टता आपकी  सृजनात्मक निरंतर बनी रहना ,एक चमत्कार है |प्रस्तुत लघुकथा इसी की एक बानगी है |भारतीय समाज में नारी ही नारी की शोषक है ,अगर नारी ,नारी का संबल बन जाये तो उसे पुरुष पर आश्रित रहकर दासता  न भोगनी पड़े |इतनी सुघड़ लघुकथा हेतु आपको हार्दिक बधाई|सादर अभिनन्दन  

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 25, 2015 at 6:57am
कुछ सास ऐसी भी होती हैं , व्यंग करती हुयी अच्छी लघु - कथा , बधाई ,आदरणीय योगराज प्रभाकर जी, सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 25, 2015 at 12:22am
आदरणीय योगराज सर, बहुत दिनों बाद आपकी लघुकथा पोस्ट हुई है। प्रतीक्षा होती है आपकी लघुकथाओं की। इंतज़ार का फल मीठा होता है, आपकी लघुकथा पढ़कर लग रहा है। मानसिकता पर सटीक और तीखा व्यंग्य। बधाई निवेदित है इस सफल लघुकथा के लिए।
Comment by maharshi tripathi on February 24, 2015 at 10:00pm

सही कहा आ. विनयकुमार जी ने ,,,,क्या करारा व्यंग दिया है आपनें ,,, अपनी इस लघुकथा के माध्यम से ,,आपको बहुत बहुत बधाई आ. योगराज जी |

Comment by somesh kumar on February 24, 2015 at 9:52pm

यूँ तो नई पीढ़ी में जहाँ बहू सर्विस वाली आ रही हैं ये बात उल्टी पड़ती दिखती है परंतु उच्च वर्ग में पारिवारिक शांति के लिए बहू-रूपी नौकरानी पाने के लालसा भी बलवती हो रही है |उस दृष्टी से एक कटू सत्य बयान करती है ये लघुकथा |अच्छी लघुकथा पर प्रणाम है गुरुदेव |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 24, 2015 at 8:51pm

सास  की यही मानसिकता ,जो मूवीज में तो और बढ़ चढ़ कर दिखाते हैं ,के कारण ही घर बिगड़ते हैं जहाँ नारी ही नारी की दुश्मन हो वहाँ समाज के सुधार की कैसे अपेक्षा कर सकते हैं भला ,लघु कथा अपना सन्देश देने में कामयाब है ,बहुत बहुत बधाई आ० योगराज जी ,बहुत दिनों बाद आपकी लघु कथा पढने को मिली. 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 24, 2015 at 2:10pm

प्रिय अनुज

विदेशो में भारतीय सास को  INDIAN TYPICAL SAS कहा जाता है i वह इसी मानसिकता के कारण  i भले हर सास ऐसी न हो पर प्रतिशत  ऐसी ही सासों का बड़ा है i  उच्च कोटि का सामाजिक व्यंग्य है i बहू आ रही है तो नौकरानी की क्या जरूरत है i नई नौकरानी तो आ ही रही है i  वाह---- बधाई हो i सादर i

Comment by विनय कुमार on February 24, 2015 at 1:53pm

मानसिकता पर करारा व्यंग , बहुत सुन्दर लघुकथा आदरणीय योगराज प्रभाकर जी..

Comment by Shyam Narain Verma on February 24, 2015 at 1:11pm
वाह ! बहुत खूब | सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
2 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
6 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
13 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
13 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
14 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service