For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी पलकों को......

मेरी पलकों को......एक रचना 

मेरी पलकों को अपने ख़्वाबों की  वजह दे दो
अपनी साँसों में  मेरे जज़्बातों को जगह दे दो

जिसकी  नमी  तुम ये  दामन सजाये बैठी हो
उसके  रूठे  सवालों को जवाबों में जगह दे दो

बंद हुआ  चाहती हैं  अब थकी हुई पलकें मेरी

अपनी तन्हाई में रूहानी रातों  को जगह दे दो 


ये ज़िंदगी तो गुज़र जाएगी तेरे हिज्र के सहारे 

इन हाथों में कुछ रूठे हुए वादों को जगह दे दो

कल का वादा न करो  कि अब न कल आएगा
अपने रुख़्सार पे पिघले लम्हों को जगह दे दो

सुशील सरना

Views: 877

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on February 15, 2015 at 6:44pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी रचना पर आपकी स्नेहिल प्रशंसा का हार्दिक आभार। 

Comment by umesh katara on February 15, 2015 at 4:07pm

वाह

Comment by Hari Prakash Dubey on February 14, 2015 at 9:13am

 आदरणीय सुशील सरना जी  //जिसकी  नमी  तुम ये  दामन सजाये बैठी हो 
उसके  रूठे  सवालों को जवाबों में जगह दे दो// ....वाह , सुन्दर रचना पर आपको हार्दिक बधाई ! सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 13, 2015 at 9:37pm

बहुत सुन्दर रचना आ० सुशील सरना जी हार्दिक बधाई 

Comment by Sushil Sarna on February 13, 2015 at 3:10pm

आदरणीय डॉ गोपाल नरायन श्रीवास्तव  जी प्रस्तुति  पर आपकी स्नेहिल  सराहना  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 13, 2015 at 3:09pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा  जी रचना  पर आपकी मधुर सराहना  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 13, 2015 at 3:07pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर  जी प्रस्तुति पर आपकी मधुर सराहना  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 13, 2015 at 3:06pm

आदरणीय  maharshi tripathi  जी प्रस्तुति पर आपकी मधुर प्रशंसा  का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on February 13, 2015 at 3:05pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी प्रस्तुति पर आपकी सराहना का हार्दिक आभार। 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 13, 2015 at 2:41pm

आ----हा---- आ० सरना जी  i बेहतरीन दिल में पैठ बनाती गजल i आपको बधाई i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service