For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सोने का संसार !

उषा छिप गयी नभस्थली में,

देकर यह उपहार !

लघु–लघु कलियाँ भी प्रभात में,

होती हैं साकार !

प्रातः- समीरण कर देता है,

नव-जीवन संचार !

लोल-लोल लहलही लतायें,

नव-जीवन-संचार !

झुकी जा रही हैं ले तन में,

नव यौवन का भार !

भ्रमर छूटकर पंकज दल से,

करने लगे विहार !

भानु-करों ने खोल दिया है ,

काराग्रह का द्वार

कल-किरणें हैं शयन-सदन की ,

मंजुल वंदनवार !

सजनी रजनी की सुख स्मृति ही,

बस अब है आधार !

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित

  

Views: 980

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 8, 2015 at 9:18pm

आदरणीय हरिप्रकाश जी  इस तरह की साहित्यिक रचनाओं को पढने का अलग ही आनंद है सुंदर प्राकृतिक चित्रण ,,सुंदर भाव  बहती हुई इस रचना में अन्यथ न लीजियेगा 

प्रातः- समीरण कर देता है,

नव-जीवन संचार 

लोल-लोल लहलही लतायें,

नव-जीवन-संचार !...नव जीवन संचार की पुनरावृत्ति से थोडा सी रूकावट मुझे लगी ..ये मेरी व्यक्तिगत राय हा अन्यथा न लीजियेगा सादर बधाई के साथ 

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 8, 2015 at 12:27pm
वाह , प्रकृति सा प्रवाह है इस प्रकृति के वर्णन में, एक सुन्दर प्रवाह मय कविता , आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर, सादर।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 8, 2015 at 11:56am

बहुत सुंदर, आदरणीय हरिप्रकाश जी. आकर्षक व् अपना प्रभाव छोडती रचना पर , आपको हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 8, 2015 at 11:12am
वाह वाह कविता का लालित्य देखते ही बन रहा है। बेहद सुन्दर। उत्कृष्ट रचना बधाई। एक निवेदन
लघु लघु कलियाँ भी प्रभात में पद में भी को जो कर लें। बधाई आदरणीय हरिप्रकाश जी।
Comment by savitamishra on February 8, 2015 at 11:01am

वाह बहुत बढ़िया

Comment by Hari Prakash Dubey on February 8, 2015 at 10:38am

आदरणीय अरुण कुमार निगम सर , रचना पर आपकी उपस्तिथि एवम् प्रेरणास्प्रद प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार ! सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on February 8, 2015 at 10:29am

आदरणीय हरि प्रकाश जी, कविता में शब्दों का लालित्य देखते ही बन रहा है, शुभकामनायें .............

Comment by Hari Prakash Dubey on February 8, 2015 at 10:11am

आदरणीय गिरिराज सर,आपकी उत्साहवर्धक और प्रेरणादायी टिप्पणी के लिए हृदय से धन्यवाद , सादर ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 8, 2015 at 9:50am

क्या खूब सूरत वर्णन किया है आपने , प्रकृति का ! बहुत खूब आदरणीय हरि भाई , दिली बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
10 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service