For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सोने का संसार !

उषा छिप गयी नभस्थली में,

देकर यह उपहार !

लघु–लघु कलियाँ भी प्रभात में,

होती हैं साकार !

प्रातः- समीरण कर देता है,

नव-जीवन संचार !

लोल-लोल लहलही लतायें,

नव-जीवन-संचार !

झुकी जा रही हैं ले तन में,

नव यौवन का भार !

भ्रमर छूटकर पंकज दल से,

करने लगे विहार !

भानु-करों ने खोल दिया है ,

काराग्रह का द्वार

कल-किरणें हैं शयन-सदन की ,

मंजुल वंदनवार !

सजनी रजनी की सुख स्मृति ही,

बस अब है आधार !

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित

  

Views: 966

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 8, 2015 at 9:18pm

आदरणीय हरिप्रकाश जी  इस तरह की साहित्यिक रचनाओं को पढने का अलग ही आनंद है सुंदर प्राकृतिक चित्रण ,,सुंदर भाव  बहती हुई इस रचना में अन्यथ न लीजियेगा 

प्रातः- समीरण कर देता है,

नव-जीवन संचार 

लोल-लोल लहलही लतायें,

नव-जीवन-संचार !...नव जीवन संचार की पुनरावृत्ति से थोडा सी रूकावट मुझे लगी ..ये मेरी व्यक्तिगत राय हा अन्यथा न लीजियेगा सादर बधाई के साथ 

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 8, 2015 at 12:27pm
वाह , प्रकृति सा प्रवाह है इस प्रकृति के वर्णन में, एक सुन्दर प्रवाह मय कविता , आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर, सादर।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 8, 2015 at 11:56am

बहुत सुंदर, आदरणीय हरिप्रकाश जी. आकर्षक व् अपना प्रभाव छोडती रचना पर , आपको हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 8, 2015 at 11:12am
वाह वाह कविता का लालित्य देखते ही बन रहा है। बेहद सुन्दर। उत्कृष्ट रचना बधाई। एक निवेदन
लघु लघु कलियाँ भी प्रभात में पद में भी को जो कर लें। बधाई आदरणीय हरिप्रकाश जी।
Comment by savitamishra on February 8, 2015 at 11:01am

वाह बहुत बढ़िया

Comment by Hari Prakash Dubey on February 8, 2015 at 10:38am

आदरणीय अरुण कुमार निगम सर , रचना पर आपकी उपस्तिथि एवम् प्रेरणास्प्रद प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार ! सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on February 8, 2015 at 10:29am

आदरणीय हरि प्रकाश जी, कविता में शब्दों का लालित्य देखते ही बन रहा है, शुभकामनायें .............

Comment by Hari Prakash Dubey on February 8, 2015 at 10:11am

आदरणीय गिरिराज सर,आपकी उत्साहवर्धक और प्रेरणादायी टिप्पणी के लिए हृदय से धन्यवाद , सादर ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 8, 2015 at 9:50am

क्या खूब सूरत वर्णन किया है आपने , प्रकृति का ! बहुत खूब आदरणीय हरि भाई , दिली बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
4 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
6 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service