For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : समझा था जिसको आम वो बंदा खजूर था

बह्र : २२१२ १२११ २२१२ १२

------------

अपनी मिठास पे उसे बेहद गरूर था

समझा था जिसको आम वो बंदा खजूर था

 

मृगया में लिप्त शेर को देखा जरूर था

बकरी के खानदान का इतना कसूर था

 

दिल्ली से दिल मिला न ही दिल्ली में दिल मिला

दिल्ली में रह के भी मैं यूँ दिल्ली से दूर था

 

शब्दों में विश्व जीत के शब्दों में छुप गया

लगता था जग को वीर जो शब्दों का शूर था

 

हीरे बिके थे कल भी बहुत, आज भी बिकें

लेकिन नहीं बिका जो कभी, कोहिनूर था

 

शब भर मैं गहरी नींद में कहता रहा ग़ज़ल

दिन में पिये जो अश्क़ ये उनका सुरूर था

-----------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 990

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 17, 2015 at 6:58pm

बहुत बहुत शुक्रिया मिथिलेश वामनकर  जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 17, 2015 at 6:57pm

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ rajesh kumari जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 17, 2015 at 6:57pm

बहुत बहुत धन्यवाद laxman dhami जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 17, 2015 at 6:57pm

बहुत बहुत धन्यवाद शिज्जु जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 17, 2015 at 6:57pm

शुक्रिया  saalim sheikh  साहब

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 17, 2015 at 6:56pm

बहुत बहुत धन्यवाद  गिरिराज भंडारी जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 17, 2015 at 6:56pm

शुक्रिया gumnaam pithoragarhi जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 17, 2015 at 6:56pm

बहुत बहुत धन्यवाद Shyam Narain Verma जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 17, 2015 at 6:55pm

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ सौरभ जी। स्नेह बना रहे

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 17, 2015 at 6:55pm

बहुत बहुत धन्यवाद Rahul Dangi जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service