For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

करें कैसे भरोसा जिन्दगी का !
नहीं है आदमी जब आदमी का !!

नहीं फिर लूट पाता वो हमें भी !
वहाँ पर साथ होता गर किसी का !!

करे वो प्यार भी तो पागलो सा !
मगर ये खेल लगता दिल्लगी का

नहीं करता अगर हम को इशारे !
न होता सामना नाराजगी का !!

इबादत से डरे क्यों हम खुदा की !
मिले है रास्ता जब बंदगी का !!

अगर अपना समझ कर साथ में हो
भरोसा तो करो फिर दोस्ती का !!
.
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 573

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 11, 2014 at 4:02pm

बहुत खूबसूरत मतला आ० आलोक मित्तल जी 

आदरणीया राजेश जी ने जिस शेर पर अपनी बात कही है, उसमें मेरी भी उनसे सहमती है 

हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 11, 2014 at 9:11am

आदरणीय आलोक भाई , खूबसूरत गज़ल के लिये खूब सारी बधाइयाँ ।

Comment by vijay nikore on November 10, 2014 at 4:32pm

अच्छी गज़ल के लिए बधाई, आ० आलोक जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 10, 2014 at 1:39pm

वाह बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल ,मतला बहुत प्रभाव शाली है 

एक संशय है इस शेर में ---

इबादत से डरे क्यों हम खुदा की !
मिले है रास्ता जब बंदगी का !!----- मिले है ----होना चाहिए या मिला है ---मिले है जैसे शब्द हम अक्सर बोलचाल में कह तो जाते हैं किन्तु  व्याकरण के हिसाब से तो मिलता है होता है ...यदि मिला है लिखें तो भी ये संशय समाप्त हो जाता है बाकि आप जैसा ठीक समझें ....वैसे शेर बहुत उत्कृष्ट है 

आपको बहुत-बहुत बधाई आलोक जी इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए| 

Comment by Alok Mittal on November 10, 2014 at 1:00pm

आद. योगराज प्रभाकर जी .....शुक्रिया आपका ..उसे दूर कर लूँगा ..ध्यान दिलाने का आपका आभार ..कृपया अपने सुझाव देते रहिएगा

Comment by Alok Mittal on November 10, 2014 at 12:57pm

आद. जितेन्द्र पस्टारिया जी...........आपका दिल से आभार ...आपने अपना समय दिया

Comment by Alok Mittal on November 10, 2014 at 12:57pm

आद. gumnaam pithoragarhi जी.....सादर आभार आपका आपने ग़ज़ल को समय दिया

Comment by Alok Mittal on November 10, 2014 at 12:56pm

आद. ram shiromani pathak जी....आपका बहुत बहुत आभार ...


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 10, 2014 at 11:34am

ग़ज़ल ठीक है लेकिन चौथे शेअर में तक़ाबुल-ए-रदीफैन का दोष है, इसे दूर करने का प्रयास करें।

Comment by Alok Mittal on November 10, 2014 at 11:21am

आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi" जी...आपका सादर आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
52 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
55 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
3 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
7 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service