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सोनू जब सुबह सो के उठा तो माँ को घर में देखे के बोला - "अरे माँ आज ऑफिस नहीं गये आप ??"

माँ ने मुस्करा के "नहीं बेटा आज ऑफिस की सरकारी छुट्टी है .."

"छुट्टी कैसी माँ ?? कल ही तो आप सांता बाई को काम पर न आने के लिए डांट रही थी कि रोज रोज छुट्टी नहीं मिलती है ...
आपको छुट्टी मिल सकती है तो सांता बाई को क्यों नहीं माँ ?"
"फिर सरकार कितनी छुट्टी करती है माँ. "
जवाब तो माँ के पास था नहीं , बस डांट थी सोनू के लिए ....

(मौलिक व अप्रकाशित )
आलोक

मथुरा

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Comment by Alok Mittal on November 7, 2014 at 10:49pm

आद. Shubhranshu Pandey जी.....शुक्रिया आपका .....जरूर ध्यान दूंगा

Comment by Alok Mittal on November 7, 2014 at 10:49pm

आद. Er. Ganesh Jee "Bagi"  जी .....जी जरूर कोशिश करूंगा ...सादर आभार आपका

Comment by Alok Mittal on November 7, 2014 at 10:48pm

आद.लक्ष्मण रामानुज लडीवालाजी....आपका बहुत बहुत शुक्रिया आपने मेरी रचना का पढ़ कर मेरा हौसला बढ़ाया.

Comment by Shubhranshu Pandey on November 7, 2014 at 9:01pm
सुन्दर कथा. सुधीजनों के विचार और सुझावों पर ध्यान देंगे
सादर.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 6, 2014 at 10:57am

आदरणीय मित्तल साहब, ऊपर की तीन पक्तियां अपनी बात कहने में सक्षम हैं, बाकी तीन पक्तियों की आवश्यकता नहीं लगता, अच्छी लघुकथा हुई है, बधाई।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 5, 2014 at 12:05pm

इस लघु कहानी से मुझे मेरे पोते का ध्यान आया जिसके "क्यों" का जवाब मुझ सहित पुरे परिवार के किसी सदस्य के पास नहीं होता | सुंदर लघु कहानी के लिए बधाई श्री अलोक मित्तल जी 

Comment by Alok Mittal on November 5, 2014 at 11:34am

आ. Dr. Vijai Shanker जी.....आपका बहुत बहुत शुक्रिया ....

Comment by Alok Mittal on November 4, 2014 at 12:28pm

आदरणीय somesh kumar जी.....आपका दिल से आभार

Comment by Alok Mittal on November 4, 2014 at 12:28pm

आदरणीय योगराज प्रभाकर जी.....शुक्रिया आपका ...कोशिश करेंगे की कम शब्दों में अपनी बात कही जा सके ...आपका आभार

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 4, 2014 at 9:04am

बढ़िया लघुकथा , आदरणीय आलोक जी. कभी-कभी बच्चों के प्रशन भी उत्तर लायक नही रह पाते

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