For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या माली का हो गया, बाग़ों से अनुबंध ?

१.

क्या माली का हो गया, बाग़ों से अनुबंध ?

चित्र छपा है फूल का, शीशी में है गंध |

२.

चूल्हे न्यारे हो गये, आँगन में दीवार

बूढ़ी माँ ने मौन धर, बाँट लिए त्यौहार |

३.

मुल्ला जी देते रहे, पाँचों वक़्त अजान

उस मौला को भा गई, बच्चे की मुस्कान |

 ४.

एक तमाशा फिर हुआ, इन दंगों के बाद

जिनने फूंकी बस्तियाँ, बाँट रहें इमदाद |

 ५.

शीशाघर की मीन सा, यारों अपना हाल

दीवारों में क़ैद है, सुख के ओछे ताल |

 ६.

फिर राहत के नाम पर, आहत का उपहास

बुझती कैसे ओस से, रेगज़ार की प्यास |

 ७.

अभिनव युग की देखिये, आदिम पिछड़ी सोच

उसका उतना मान है, जो है जितना पोच |

 ८.

कर लो यदि इस दौर की, कुछ शर्तें स्वीकार

सहज मिलेगें साथियों, पैसा – कोठी –कार |

९.

सात समंदर पार के, मीत मिलाये नेट

एक मुहल्ले में रहें, हुई न अपनी भेंट |

 १०.

तम ने तंबू गाड़कर, करली पक्की ठाँव

रस्ता भूली भोर भी, अँधियारे में गाँव |

 ११.

गुमटी पर है कायदे, ठेले पर है रूल

थोक भाव से बिक रहें, यारों आज उसूल |

 १२.

चौराहे पर भीड़ है, अचरज में घनघोर

दीवारें हैं सामने, जायें अब किस ओर |

 १३.

वो साँझी वो आरती, वो झालर वो दीप

मोती शाश्वत ज्ञान का, संस्कारों का सीप |

 १४.

सोच रहा हूं देर से, हाथ लिये पतवार

जीवन दरिया रेत का, कैसे होगा पार |

१५.

बाहर बाहर चाशनी, भीतर भीतर खार

स्वार्थ तराजू पर तुले, रिश्तों का किरदार |

१६.

जबसे साँसों में घुली, तेरी प्रेम सुवास

तबसे जीवन बाग में, हर मौसम मधुमास |

१७.

एक परेवा बुर्ज पर, बैठा पंख पसार

आज उडूं मैं नाप लूं ,इस नभ का विस्तार |

 १८.

मजदूरन की देह को, ताके ठेकेदार

रूह ढँकेगी बेबसी, कब तक पेट उघार

२०

एसी कूलर जून में, हरते हैं अवसाद

बरगद पीपल गाँव के, आते फिर भी याद |

२१ .

बरगद-पीपल-नीम की, शीतल गहरी छाँव

मीठा पानी कूप का, स्वर्ग धरा पर गाँव |     

   

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 810

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by khursheed khairadi on October 13, 2014 at 11:06pm

आदरणीय मंच सभी प्रबुद्ध अग्रजों आदरणीय उपाध्याय सा.,आदरणीय भंडारी सा.,आदरणीय अखिलेश जी ,आदरणीय सत्य नारायण जी ,आद .जितेंदर जी , आदरणीय आशुतोष जी ,आद.नीरज जी , आद.हरिवल्लभ जी ,आद.अरुण निगम सा. आदरणीया राजेश कुमारी जी , आद.पवन जी ,आद.विवेक झा सा. और आदरणीय विजशंकर सा. आप सभी का सादर आभार |

छुट्टियों में गाँव चले जाने और दीपावली की सफाई में गृहलक्ष्मी का हाथ बंटाने के अभियान के चलते काफ़ी समय मंच पर अनुपस्थित रहा ,जिसके चलते कई अच्छे आयोजनों में शिरकत नहीं कर पाया |क्षमा याचना के साथ पुनः मंच की सेवा में हाजिर हूं |आशा है आप सभी का स्नेह और आशीर्वाद पूर्ववत मुझे मिलता रहेगा |स्नेहाकांक्षी 'खुरशीद' 

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on October 9, 2014 at 8:33am
बहुत सुन्दर और सारगर्भित दोहे हैं । इन दोहों को रचते समय आपकी पैनी दृष्टि हर ओर देख रही है । आपकी लेखनी को नमन और आपको बहुत-बहुत बधाई मित्र । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 2, 2014 at 9:31pm

आदरणीय खुर्शीद भाई , वर्तमान सामाजिक स्थितियों को खूब सूरती से दोहों में पिरोया है आपने , सभी दोहे लाजवाब हैं | आपको हार्दिक बधाइयां |

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 2, 2014 at 1:03pm

आदरणीय खुर्शीद जी 

बहुत ही सुंदर और सार्थक दोहे रचे हैं, हार्दिक बधाई।

रूह ढँकेगी बेबसी, कब तक पेट उघार,,,,, ,,,,,  आदरणीय कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया कि एक मज़बूर के तन को आत्मा ढकेगी ... कैसे? 

सादर 

Comment by Satyanarayan Singh on September 30, 2014 at 11:25pm

इन सारगर्भित दोहों हेतु हार्दिक बधाई आ. खुर्शीद जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 30, 2014 at 9:58pm

बहुत सारे, हर तरफ हर विषय पर दोहे. बहुत -२ बधाई आदरणीय खुर्शीद साहब  

Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 30, 2014 at 5:48pm

आदरणीय खुर्शीद जी ..सभी दोहे एक से बढ़कर एक ..हमारे चारो तरफ के हर नज़ारे को , हर बात को आपने इतनी खूबसूरती से दोहों के माध्यम से रख दिया ..उसकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है ..बेहतरीन ..मेरी हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार करें सादर 

Comment by Neeraj Neer on September 30, 2014 at 9:25am

वाह bahut सुंदर दोहे/ 

Comment by harivallabh sharma on September 30, 2014 at 1:21am

वाह वाह अति सुन्दर सरस एवं तीक्ष्ण प्रभाव छोड़ते श्रेष्ठ दोहे आदरणीय Khursheed khairadi साहब,,,

तम ने तंबू गाड़कर, करली पक्की ठाँव

रस्ता भूली भोर भी, अँधियारे में गाँव |

 

गुमटी पर है कायदे, ठेले पर है रूल

थोक भाव से बिक रहें, यारों आज उसूल |

 

चौराहे पर भीड़ है, अचरज में घनघोर

दीवारें हैं सामने, जायें अब किस ओर |

बहुत सरस...एक से बढ़कर एक..दोहे बधाई आपको .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 29, 2014 at 9:45pm

वाह... वाह और सिर्फ वाह ....इन अप्रतिम दोहों के लिए ..हर दोहे में एक से बढ़कर एक भाव आज के समाज पर सटीक कटाक्ष भी 

ढेरों बधाईयाँ स्वीकारें आ० खुर्शीद खैरादी जी .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
10 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
" आदरणीय सुशील सरना जी सादर, जीवन के सत्य पर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आ. भाई वृजेश जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। मतले में यदि उन्हें सम्बोधित कर रहे हैं…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , पूरी ग़ज़ल बहुत खूबसूरत हुई है , हार्दिक बधाई स्वीकार करें मतले के उला में मुझे भी…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और विस्तार से सुझाव के लिए आभार। इंगित…"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service