For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नफरतों का सिलसिला चारों तरफ है

1.

नफरतों का सिलसिला चारों तरफ है

फिर चुनावों की हवा चारों तरफ है

 

दौर फिर हैवानियत का आ गया लो

आदमीयत गुमशुदा चारों तरफ है

 

है मुकर्रर दिन क़यामत का सुना था

हाँ इसी की इब्तदा  चारों तरफ है

 

छिड़ गई है जंग फिर से भाइयों में

इक महाभारत नया चारों तरफ है

 

दानवों ने शोर कितना फिर मचाया

मौनधारी देवता चारों तरफ है

 

ज़िंदगी से भागकर जायें कहाँ हम

मौत से बढ़कर कज़ा चारों तरफ है

 

साथ सच के चलना हो तो मैं रुका हूं

वरना जाओ रास्ता चारों तरफ है

 

साथ दो ‘खुरशीद’का सब दीप बनकर

तीरगी की इक रिदा चारों तरफ है 

२.

सियासत में अगर उलझा नहीं होता

तो पेचीदा कोई मुद्दा नहीं होता

 

अगर दिल्ली न रोड़ा राह का बनती

तरक्की का रुका रस्ता नहीं होता

 

ज़रा सी बात थी कब की सुलझ जाती

हमारे बीच में नेता नहीं होता

 

हमारे दौर का कमज़ोर पहलू है

चमकता है वो जो सोना नहीं होता

 

न जाने रागदरबारी थमेगा कब

हमारे दर्द का चर्चा नहीं होता

 

महीना बीतते ही बीतते अक्सर

कनस्तर खोलो तो आटा नहीं होता

 

सियासत रोटियाँ ना सेंकती अपनी

तो कोई आदमी भूखा नहीं होता

 

तुम्हारे वोट की बोली लगे जब जब

बतादो आदमी सस्ता नहीं होता

 

अगर ‘खुरशीद’ का ही साथ देते सब

सवेरा आज यूं काला  नहीं होता

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 449

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by khursheed khairadi on November 10, 2014 at 2:09pm

आदरणीय गोपालनारायण साहब ,आपके स्नेह का सदैव आभारी रहूँगा |सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 15, 2014 at 5:59pm

आदरणीय खुर्शीद जी

मेरे मन की बात आदरणीया राजेश कुमारी जी ने  पहले ही कह दी है i सादर i

Comment by khursheed khairadi on October 15, 2014 at 9:24am

आदरणीय सन्देश नायक सा.,आदरणीय जितेंदर जी ,आदरणीया राजेश कुमारी जी ,आदरणीय विजय शंकर जी ,ग़ज़ल को आप सभी विद्जनों का आशीर्वाद मिला ,इसके लिए तहेदिल से शुक्रिया |सादर आभार 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 14, 2014 at 11:45pm

गजब! बहुत ही बेहतरीन गजलें कही आपने, आदरणीय खुर्शीद साहब. दिली बधाइयाँ आपको

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 14, 2014 at 4:14pm
आदमी , आदमी , आदमी ही आदमी
चारों तरफ बस आदमी ही आदमी ,
बस दिखती नहीं, कहीं भी आदमियत ,
हर एक तलाश रहा है बस आदमियत ॥
आपकी ग़ज़ल पढ़ी , ये लाइनें अपने आप आ गयीं जुबान पे , दोनों ग़ज़लें बहुत अच्छी हैं . बधाई आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी , सादर .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 14, 2014 at 11:05am

ज़िंदगी से भागकर जायें कहाँ हम

मौत से बढ़कर कज़ा चारों तरफ है----वाह्ह्ह्ह सही कहा 

 

साथ सच के चलना हो तो मैं रुका हूं

वरना जाओ रास्ता चारों तरफ है-----उम्दा शेर 

महीना बीतते ही बीतते अक्सर

कनस्तर खोलो तो आटा नहीं होता-----सच का आईना है शेर 

 

सियासत रोटियाँ ना सेंकती अपनी

तो कोई आदमी भूखा नहीं होता-----लाजबाब 

आ० खुर्शीद जी ,इन दोनों ग़ज़लों की जितनी तारीफ की जाय वो कम ही होगी ,तहे दिल से दाद प्रेषित है |

 

 

Comment by संदेश नायक 'स्वर्ण' on October 14, 2014 at 9:57am

आदरणीय खुर्शीद जी, क्या खूब लिखा है...
''साथ सच के चलना हो तो मैं रुका हूं
वरना जाओ रास्ता चारों तरफ है'' । बहुत बहुत बधाई हो । दोनों ही रचनाएँ काबिल-ए-तारीफ़ हैं | अनुभव की आंच पर जब कोई रचना पकती है, तो उसका ज़ायका ही कुछ और होता है |
''ज़रा सी बात थी कब की सुलझ जाती
हमारे बीच में नेता नहीं होता''। बहुत खूब| दाद कुबूलें|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। आइए…See More
48 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी आभार संज्ञान लेने के लिए आपका सादर"
50 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए सादर"
54 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी आभार आपका सादर"
55 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. अमित जी ग़जल पर आपके पुनरागमन एवम् पुनरावलोकन के लिए कोटिशः धन्यवाद ! सुझावानुसार, मक़ता पुनः…"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी, बहुत धन्यवाद। आप का सुझाव अच्छा है। "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से मश्कूर हूँ।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service