For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"अतुकांत"
_________

गली के मोड़ पर जब दिखती

वो पागल लडकी

हंसती

मुस्कुराती

कुछ गाती सकुचाती,

फिर तेज कदमो

से चल

गुजर जाती

चलता रहा था क्रम

अभ्यास में उतर आई

उसकी अदाएं

हँसा गईं कई बार कई बार

सोचने पर

विवश

विधाता ने सब दिया

रूप नख-शिख

दिमाग दिया होता थोडा

और सहूर

जीवन के फर्ज निभाने का,

वय कम न थी

मगर आज...........

दिखी न वो हँसी

मोड़ तक आती वह गली

खामोश थी  |

दो कदम चल कर देखा,

भीड़ खडी थी और

सफ़ेद चादर से ढँका तन

खुला चेहरा

दहशत भरा

मुस्कुराना भूलकर |

( मौलिक अप्रकाशित )

Views: 840

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Chhaya Shukla on September 27, 2014 at 9:34pm

आ. विजय निकोरे जी 
रचना की सुन्दर सराहना के लिए अतिशय आभार 
सादर नमन ! 

Comment by vijay nikore on September 27, 2014 at 1:49pm

अति सुन्दर मार्मिक प्रस्तुति। बधाई।

Comment by Chhaya Shukla on September 27, 2014 at 1:05pm

बहन राजेश कुमारी जी , दिल से शुक्रिया प्रोत्साहन के लिए नमन ! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 26, 2014 at 7:11pm

बहुत मार्मिक चलचित्र की भाँती आँखों के सामने से गुजरती अपनी छाप छोडती रचना ...बहुत- बहुत बधाई छाया शुक्ला जी .

Comment by Chhaya Shukla on September 26, 2014 at 11:39am

आ. जीतेन्द्र गीत जी अतिशय धन्यवाद ! 
सादर नमन ! 

Comment by Chhaya Shukla on September 26, 2014 at 11:38am

अतिशय आभार आ. राम शिरोमणि पाठक जी !

सादर नमन 

Comment by Chhaya Shukla on September 26, 2014 at 11:38am

आ. विजय मिश्र जी बहुत बहुत धन्यवाद सुंदर प्रतिक्रिया के लिए सादर नमन 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 25, 2014 at 10:31pm

bahut बहुत मर्मस्पर्शी रचना. बधाई आदरणीया छाया जी

Comment by विजय मिश्र on September 25, 2014 at 3:53pm
आ० छायाजी ,सशक्त ढंग से इस बेढंगे समाजिक कुसंस्कार को जो बलात हमें मुक्त और स्वछन्द जीवन से एक प्रछन्न भय की ओर ढकेल रहा है वाजिव शब्दों से उभारा है |रचना आदरयोग्य है ,साधुवाद |
Comment by Chhaya Shukla on September 24, 2014 at 9:56am

अतिशय धन्यवाद स्वीकारें बहन डॉ नूतन डिमरी गैरोल जी 
आपने सच कहा क्रूर पर सत्य सादर नमन ! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service