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राह चले शादी हो जाती |

अजीब बात  है ये प्यार  की    , भूले वो सारा  संसार |
सारा यौवन   बर्बाद   करे , मिल गया बेवफा जो यार | 
शादी बंधन अपवित्र करे  , रिश्ते  को गड्ढे में डाल | 
जिंदगी  ही  डूबे  नर्क में , आगे का अब कौन हवाल |
माता पिता जब करे  शादी , जा कर ही देखे घर बार |
जान पानी  छान कर पीते , तब  कहीं करते  ऐतबार |
शादी पावन है  जीवन में ,   इसी से   चलता संसार |
राह चले शादी हो जाती ,   दूसरे  दिन पड़ता दरार |
गोद में जब बालक आये , आशिक हो जाता  फरार  | 
मुँह छुपाना  मुश्किल होता ,  जब   ताना मारे संसार |
कोई विनय काम ना आवे ,  नव जीवन   पड़े महाधार |
अपनी करनी पार उतरनी , नहीं सुलझने का आसार |
याद आये  पिछली कहानी , तड़प तड़प बीते  दिन रात |
प्रेम का है ये खेल अनूठा , छन  भर में ही बिगड़े बात |
कोर्ट जाने  की नौबत आये , कोई  ना देता  तब साथ |
वर्मा प्यार का  मंजिल कठिन , दिवा के बाद आये रात | 
श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 27, 2014 at 10:12am

बहुत सुंदर. आज के रिश्तों को बहुत खूबी से बयां किया आपने आदरणीय श्याम नारायण जी. हार्दिक बधाई

Comment by Shyam Narain Verma on August 27, 2014 at 10:05am

आदरणीय पवन कुमार जी आपका बहुत बहुत आभार |
सादर

Comment by Shyam Narain Verma on August 27, 2014 at 10:03am

आदरणीय डा. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी , सही राय देने के लिए बहुत बहुत आभार | आगे से मैं ध्यान अवश्य रखूंगा |
सादर

Comment by Pawan Kumar on August 26, 2014 at 6:23pm

आजकल का प्यार भी .......
बहुत बाद में समझ आता है
सुन्दर प्रस्तुति सादर बधाई

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 26, 2014 at 5:56pm

कठिन प्यार की मंजिल वर्मा बाद दिवा के आये रात ----- शब्द आपके है केवल मैंने क्रम बदला है और आप अनुभव करेंगे कि यह संयोजन आल्हा की गायन शैली के अधिक  निकट है i  बस संयोजन पर ध्यान दीजिए,  आपका प्रयास सराहनीय है i

Comment by Shyam Narain Verma on August 26, 2014 at 10:10am

आदरणीय पाण्डेय जी आपका बहुत बहुत आभार और आदरणीया राजेश कुमारीजी को भी सही राय देने के लिए बहुत बहुत आभार | आगे से मैं ध्यान अवश्य रखूंगा |
सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 26, 2014 at 12:28am

आदरणीया राजेश कुमारीजी, आपकी इनिशियेटिव के लिए सादर धन्यवाद.

विश्वास है,आदरणीय श्यामनारायणजी अब ध्यान अवश्य देंगे. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 25, 2014 at 8:10pm

आ० श्यामनारायण वर्मा जी,शादी को केन्द्रित कर आल्हा लिखने का शानदार प्रयास किया है आपने --  

शादी पावन है  जीवन में ,   इसी से   चलता संसार |----सम चरण में १४ पंक्तियाँ हो रही हैं इसे इसे लिखें तो कैसा लगे --चलता इस से ही  संसार 
राह चले शादी हो जाती ,   दूसरे  दिन पड़ता दरार | ---पड़ती अगले दिवस दरार (दरार स्त्री लिंग है )

आदरणीय आपका प्रयास अच्छा है बस आप इतना देख लें की सम शब्द के बाद सम ओर विषम के बाद विषम रखें तो गेयता बेहतर होगी ,जैसे --राह चले शादी हो जाती----यहाँ आपने विषम के बाद विषम लिया है तो कितना खूबसूरत लग रहा है ,आपको बहुत-बहुत बधाई 

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